अयोध्या: 6 अगस्त से मामले की रोज होगी सुनवाई-अयोध्या केस: मध्यस्थता की कोशिशें फेल

मध्यस्थता समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू भी शामिल थे.

अयोध्या विवाद मामले में गठित मध्यस्थता समिति की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में अपनी फाइनल रिपोर्ट पेश की गई है. समिति के सदस्‍यों के मुताबिक वे इस विवाद का समाधान करने में सक्षम नहीं हैं. इस रिपोर्ट के बाद लंबे समय से चले आ रहे इस विवाद के आपसी बातचीत से समाधान के प्रयासों को बड़ी असफलता हाथ लगी है.

CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच आज को इस मुद्दे पर सुनवाई की. 6 अगस्त से इस मामले की रोजाना सुनवाई होगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता की कोशिशें फेल हो गई हैं. अयोध्या पर खुली अदालत में सुनवाई होगी. SC ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए 30 अगस्‍त, 2010 के गए आदेश के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं की प्रतिदिन सुनवाई करने का फैसला किया है.

मिली जानकारी के अनुसार हफ्ते में तीन दिन सुनवाई होगी. ऐसे में इस विवाद पर तीन से चार महीने के भीतर फैसला आ सकता है. हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विवादित जमीन को तीन समान भागों में बांट दिया जाए और एक भाग राम लला, एक भाग निर्मोही अखाड़ा और एक भाग सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड को दे दिया जाए.

अयोध्या मामले में मुस्लिम पक्ष ने बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की रिट याचिका का विरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि सुनवाई शुरू होते ही सब कुछ तय हो जाएगा.
जस्टिस कलीफुल्ला के नेतृत्व में गठित हुई थी मध्यस्थता समिति

सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 8 मार्च को SC के पूर्व जज जस्टिस एफएम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित की थी. इस समिति को मामले का सर्वमान्य समाधान निकालना था. मध्यस्थता समिति में आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू भी शामिल थे. मध्यस्थता पैनल ने संबंधित पक्षों से बंद कमरे में बातचीत की गई थी.

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपीलें
इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितम्बर 2010 के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपीलें दायर की गई हैं. हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था. हालांकि, SC ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित जमीन पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था.

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