अयोध्या: SC में मुस्लिम पक्षकार बोले,विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर हैं कि वह है कहां?

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अयोध्या विवाद की 29वें दिन की सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ने कहा कि विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर हैं कि वह है कहां? सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पेश राजीव धवन ने दलील दी “हम राम का सम्मान करते हैं, जन्मस्थान का भी सम्मान करते हैं। इस देश में अगर राम और अल्लाह का सम्मान नहीं होगा, देश खत्म हो जाएगा।”

धवन ने कहा कि विवाद तो राम के जन्मस्थान को लेकर है कि वह कहां है! उन्होंने कहा कि पूरी विवादित जमीन जन्मस्थान नहीं हो सकती! जैसा कि हिंदू पक्ष दावा करते हैं। कुछ तो निश्चित स्थान होगा। पूरा क्षेत्र जन्मस्थान नहीं हो सकता।

धवन ने हिंदू पक्ष द्वारा परिक्रमा के संबंध में गवाहों द्वारा दी गई गवाहियां उसके समक्ष रखीं। उन्होंने हिन्दू पक्ष के गवाहों की गवाही पढ़ते हुए बताया कि परिक्रमा के बारे में सभी गवाहों ने अलग अलग बात कही है। कुछ ने कहा राम चबूतरे परिक्रमा होती थी, कुछ ने कहा कि दक्षिण में परिक्रमा होती थी।

अयोध्या मामले में सुनवाई के साथ-साथ चल सकते हैं मध्यस्थता के प्रयास: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली ने बुधवार को स्पष्ट किया था कि अयोध्या मामले की सुनवाई मध्यस्थता के प्रयासों के लिए रोकी नहीं जायेगी और उम्मीद जतायी कि 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी हो जायेगी। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की पांच सदस्यीय पीठ ने आज अयोध्या मामले की सुनवाई करते हुए 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी करने की समय सीमा तय कर दी। इस विवाद की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड,न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर शामिल हैं।

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि अयोध्या मामले की सुनवाई के साथ-साथ इसके समाधान के लिए समानांतर रुप से मध्यस्थता के प्रयास जारी रखे जा सकते हैं। पीठ ने कहा कि इस मामले में दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं सी एस वैद्यनाथ और राजीव धवन की तरफ से सुनवाई पूरी करने के लिए दिये गये अनुमानित समय के मद्देनजर इस वर्ष 18 अक्टूबर तक सुनवाई खत्म हो सकती है। उसने कहा कि सभी पक्ष इस मामले में 18 अक्टूबर तक अपनी दलीलें पूरी कर लें। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि यदि दलीलें पूरी करने के लिए समय कम रहेगा तो वह शनिवार को भी सुनवाई करने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि मध्यस्थता के जरिये इस मामले के समाधान के लिए संबंधित पक्षों पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। इस मामले के सभी पक्ष बातचीत के जरिये इस विवाद का समाधान कर सकते हैं और उसका नतीजा पीठ के सामने रख सकते हैं। अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई छह सितंबर से शुरु हुई थी। पहले निमोर्ही अखाड़ा की तरफ से दलीलें दी गई। उसके बाद रामलला रिपीट रामलला और राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने दलीलें रखी। हिंदू पक्षकारों की दलीलें पूरी हो जाने क बाद मुस्लिम पक्षों की तरफ से दलीलें शुरु हुई हैं।

इस वर्ष मार्च में पीठ ने अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एफएमआई कलीफुल्ला, अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पंचू की समिति को सौंपा था किंतु मध्यस्थता के जरिये कोई समाधान नहीं निकला और इसके बाद शीर्ष न्यायालय ने रोजाना सुनवाई शुरू की ।

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