बैंकॉक पीएम मोदी: अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में भारतीय

आंकड़ों के मुताबिक इन फैसलों का नतीजा ये हुआ है कि RCEP देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा 2004 के 7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2014 में 78 बिलियन डॉलर हो चुका है

बैंकॉक. पीएम मोदी (PM Modi) ने बैंकॉक (Bangkok) में RECP समझौते पर भारत की ओर से हस्ताक्षर करने से मना कर दिया है. 16 देशों के बीच व्यापार को लेकर होने वाले अब तक के सबसे बड़े समझौते RCEP (Regional Comprehensive Economic Partnership) से जुड़े पहलुओं पर भारत राजी नहीं हुआ. कहा जा रहा था कि इस पर भारत यहीं हस्ताक्षर कर सकता है, लेकिन अब भारत ने मना कर दिया है.

साथ ही भारत ने यहां पर ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ (Most favoured Nation- MFN) के दायित्वों की उपयोगिता पर भी सवाल खड़े किए हैं. क्योंकि इस नई व्यवस्था में भारत को रीजनल कॉम्प्रिहैंसिव इकॉनमिक पार्टनरशिप (RCEP) देशों को भी वही छूट देनी होंगीं, जो वह अन्य देशों को देता है. RCEP समझौते पर हस्ताक्षर न करने के बाद सरकारी सूत्रों ने बताया है कि पिछली यूपीए सरकार के भारत के व्यापार हितों को गंभीरता से नहीं लेने के चलते ऐसा हुआ है.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में खराब रहा है UPA का रिकॉर्ड
सूत्रों ने कहा है कि भारत ने ASEAN देशों और दक्षिण कोरिया के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर 2010 में हस्ताक्षर किए थे. इसने 2011 में मलेशिया और जापान के साथ भी मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए थे.

यूपीए के दौरान भारत सरकार ने अपने 74% बाजार को ASEAN देशों के लिए खोल रखा था लेकिन इस ग्रुप के अपेक्षाकृत अमीर देश इंडोनेशिया ने भारत के लिए अपने मात्र 50% बाजार को ही खोला था. भारत सरकार ने UPA के दौरान ही चीन के साथ भी 2007 में मुक्त व्यापार समझौता (FTA) किया था और 2011-12 से चीन के साथ RCEP समझौते को लेकर बातचीत कर रहा है.

10 सालों में 11 गुना से ज्यादा बढ़ा था व्यापार घाटा
आंकड़ों के मुताबिक इन फैसलों का नतीजा ये हुआ है कि RCEP देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा 2004 के 7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2014 में 78 बिलियन डॉलर हो चुका है.

सूत्रों के मुताबिक भारतीय घरेलू उद्योग अभी भी इस फैसले के चलते पिस रहे हैं. पीएम मोदी की सरकार ने इन मुद्दों को सुलझाने और बातचीत को जारी रखने का प्रयास किया था. ऐसे में यह साफ है कि भारत पिछले मुक्त व्यापार समझौतों (FTA) के पुराने मुद्दों को सुलझाए बिना ऐसी गैरबराबरी वाली डील को आगे जारी नहीं रख सकता था. ऐसी डील में आसियान और RCEP दोनों के ही देश शामिल थे.

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