कॉक्स बाजार (बांग्लादेश): बांग्लादेश रोहिंग्या समुदाय के एक लाख सदस्यों के पहले जत्थे को उनके देश म्यांमार वापस भेजना चाहता है. मुस्लिम शरणार्थियों का यह समूह जातीय हिंसा के बीच बांग्लादेश आ गया था. वरिष्ठ मंत्री ओबेदुल कादर ने कहा कि दोनों सरकारों के बीच समझौते के तहत एक लाख लोगों के नामों की सूची आज म्यांमार के अधिकारियों को भेजी गई है ताकि जनवरी के अंत तक देश वापसी अभियान शुरू हो सके. बीते अगस्त में सैन्य अभियान के बाद म्यांमार के रखाइन प्रांत से छह लाख 55 हजार से अधिक रोहिंग्या सदस्यों ने बांग्लादेश में शरण मांगी थी. बांग्लादेश में रोहिंग्या के शरण लेने को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने जातीय सफाया बताया है. दोनों देशों की सरकारों ने 23 जनवरी से इस समुदाय की देश वापसी शुरू करने के लिए नवंबर में समझौता किया था.
बांग्लादेश ने की अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा
हाल में अल्पसंख्यकों और विदेशियों पर हुए हमलों की निंदा करते हुए बीते 27 दिसंबर को बांग्लादेश के संस्कृति मंत्री असदुज्जमान नूर ने कहा है कि बंगाल शास्त्रीय संगीत महोत्सव द्वारा उत्पन्न सामाजिक चेतना देश की एकता में खलल डाल रही बुरी ताकतों को उखाड़ फेंकने में मदद करेगी. नूर ने मंगलवार को समारोह के पहले दिन अपने भाषण में कहा, “यह समारोह अनेकता में एकता के मूल्यों को दर्शाता है. लेकिन हम देख सकते हैं कि आतंकवाद हमारे देश में भी उत्पन्न हो गया है. कट्टरपंथी ताकतें हमारे देश से शांति को नष्ट कर रही हैं.”
मंत्री ने कहा, “हमारे देश में महिलाओं और बच्चों का सामाजिक शोषण हो रहा है. हमें इन समस्याओं को दूर करना है. बांग्लादेश प्रगति कर रहा है, लेकिन इन बाधाओं को समाप्त करना जरूरी है.” अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम व अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) की एक रपट के मुताबिक, 2014 के राष्ट्रीय चुनाव के बाद, धार्मिक अल्पसंख्यकों को बांग्लादेश में हमलों का सामना करना पड़ रहा है, विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच भय की भावना बढ़ रही है.
म्यांमार में 25 अगस्त की हिंसा के बाद रोहिंग्या समुदाय के 600,000 से ज्यादा सदस्यों को देश छोड़ने के लिए मजबूर किया गया. बांग्लादेश में आश्रय लेने वाले मुस्लिम रोहिंग्या शरणार्थियों की बात करते हुए नूर ने कहा, “हमने देश में रोहिंग्या मूसलमानों को आश्रय दिया. हमने अपने हाथ बढ़ाए और उन्हें गले से लगाया. हमारी प्रधानमंत्री (शेख हसिना) ने कहा कि हम एक समय का भोजन करेंगे, लेकिन उनकी मदद करेंगे.”