नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। व्हाट्सएप पर कंपनियों के वित्तीय नतीजे घोषित होने से पहले ही लीक होने के मामले में मार्केट रेगुलेटर सेबी ने छापेमारी समेत सख्त कार्रवाई की हो लेकिन कानून के जानकारों का कहना है कि इस मामले में मुकदमा कायम करने और दोषियों को सजा दिलाने में कई तरह की कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
इस मामले में सेबी ने 30 से ज्यादा ब्रोकरों और विश्लेषकों के यहां बड़े पैमाने पर छापेमारी की थी। सेबी के पास शेयर बाजार से जुड़े लोगों के यहां तलाशी और जब्ती का व्यापक अधिकार है जिसके आधार पर वह रिकॉर्ड, रजिस्टर और दस्तावेज कब्जे में ले सकता है। अधिवक्ताओं का कहना है कि इन दस्तावेजों व रिकॉर्ड के साथ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जैसे कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटॉप जैसी वस्तुओं की सेबी द्वारा जब्ती को अदालत में स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन इससे सेबी के पास किसी व्यक्ति के सोशल मीडिया खाते को जब्त करने का अधिकार नहीं मिल जाता है।
अधिवक्ताओं का कहना है कि उन्हें ऐसी किसी कानून की जानकारी नहीं है जिसके तहत सेबी के पास सोशल मीडिया एकाउंट तक पहुंचने या किसी व्यक्ति को इसकी जानकारी या पासवर्ड देने के लिए बाध्य करने का अधिकार हो। इसका आशय यह हुआ कि सेबी सोशल मीडिया एकाउंट को बुक्स, रजिस्टर और दस्तावेजों में शुमार करने का मामला बनाएगा।
इस संबंध में भेजे गए ई-मेल का सेबी ने कोई जवाब नहीं दिया है। हालांकि उसके एक वरिष्ठ अधिकारी ने भरोसा जताया कि नियामक जांच में बने केसों में दोषियों को सजा दिलाने में सफल होगा। अधिकारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उनके पास जांच के लिए पर्याप्त अधिकार हैं। जब मामला अदालत में पहुंचेगा तो सेबी के अधिकारों का भी परीक्षण हो जाएगा। अगर केस चलाने में दिक्कत आती है तो सरकार से कानून में संशोधन के लिए कहा जाएगा। हम कानून को मजबूत बनाएंगे।
पिछले दिनों सेबी के प्रमुख अजय त्यागी ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि सोशल मीडिया पर अवैध गतिविधियों की जांच करना उनके लिए नया क्षेत्र है। पहले इस तरह का कोई मामला नहीं आया। लेकिन दोषी लोग तकनीक के पीछे छिप नहीं पाएंगे।
दूसरी ओर अधिवक्ताओं का कहना है कि प्रतिवादी निजता के अधिकार के आधार पर अपने सोशल मीडिया एकाउंट की जानकारी या पासवर्ड देने से इन्कार कर सकते हैं। इस केस में फंसे ब्रोकरों के अधिवक्ताओं से तो बात नहीं हो पाई है लेकिन फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के पार्टनर और सेबी के पूर्व प्रवर्तन प्रमुख संदीप पारेख ने कहा कि कोई भी व्यक्ति निजता के संवैधानिक अधिकार के बिना पर सोशल मीडिया एकाउंट की जानकारी देने को चुनौती दे सकता है।