बैन होने वाली पहली फिल्म है ‘पद्मावती’अब तक नहीं किया गया है सेंसर

नई दिल्ली: अपने देश में राजनीतिक कारणों या इतिहास में छेड़छाड़ के नाम पर फिल्मों के विरोध का लंबा इतिहास रहा है और ब्रिटिश हुकूमत के वक्त से इसके उदाहरण मिलते हैं लेकिन जानकारों के मुताबिक इस कड़ी में ‘पद्मावती’ संभवत: पहली ऐसी फिल्म है जो अभी तक सेंसर की नजरों से गुजरी भी नहीं है और रिलीज होने से पहले बैन तक हो गई है. संजय लीला भंसाली की इतिहास के कथानक पर आधारित ‘पद्मावती’ को लेकर विवाद शूटिंग के समय से ही शुरू हो गया था जो आज तक थम नहीं पाया है. रानी पद्मावती और अलाउददीन खिलजी के बीच प्रेम के स्वप्नदृश्य के कयासों और इतिहास को गलत तरह से दिखाने के आरोपों के चलते फिल्म को इतना विरोध झेलना पड़ा है कि अभी स्पष्ट नहीं है कि यह पर्दे पर कब उतर पाएगी.

गुजरात सरकार ने राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले 22 नवंबर को ‘पद्मावती’ के रिलीज पर रोक लगा दी. इससे पहले भाजपा शासित उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान भी सेंसर बोर्ड की कांटछांट से पहले ही इससे तौबा कर चुके हैं. ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ के आरोपों को लेकर फिल्म को राजपूत समुदाय के संगठनों और कुछ राजनेताओं का विरोध लगातार झेलना पड़ रहा है.

फिल्म मामलों के जानकार और इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार हेमंत पाल बताते हैं कि ‘पद्मावती’ से पहले भी ऐसी कई फिल्में बनी हैं, जिनके परदे पर नहीं उतर पाने के पीछे राजनीतिक कारण रहे हैं. कुछ फिल्में तो काटछांट के बाद रिलीज हो गईं, लेकिन कुछ ने अभी तक सिनेमाघर नहीं देखा. वह दावा करते हैं कि इन फिल्मों को लेकर जो भी आपत्तियां उठीं, उन सभी में सेंसर बोर्ड की भूमिका रही. यदि उन फिल्मों को बैन भी किया गया तो केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ‘सीबीएफसी’ ने ही किया. सेंसर के प्रमाणपत्र के बाद भले ही अलग अलग राज्यों में उन पर पाबंदी लग गई हो लेकिन, ‘पद्मावती’ संभवतः पहली फिल्म है, जिसे शूटिंग के वक़्त से ही विरोध का सामना करना पड़ रहा है और सेंसर में जाने से पहले ही सिर्फ अनुमान और कयास के आधार पर हो रहे विरोध को देखते हुए फिल्म पर प्रतिबंध का ऐलान कुछ राज्य कर चुके हैं.

सीबीएफसी के चेयरमैन प्रसून जोशी ने पिछले दिनों संसद की दो समितियों को बताया कि फिल्म को अभी तक सेंसर बोर्ड की मंजूरी नहीं मिली है और विशेषज्ञों को दिखाने के बाद ही इसके प्रदर्शन पर फैसला किया जाएगा. सूत्रों के अनुसार समझा जाता है कि समिति के एक सदस्य के सवाल पर जोशी ने कहा कि उन्होंने अभी तक फिल्म नहीं देखी है. साफ है कि फिल्म की रिलीज के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा. वैसे भी सीबीएफसी में प्रमाणपत्र के लिए फिल्म निर्माताओं की ओर से 11 नवंबर को ही आवेदन किया गया है और सिनेमेटोग्राफी कानून के तहत फिल्म को प्रमाणपत्र देने में बोर्ड 68 दिन तक का समय ले सकता है.

हिंदी फिल्मों को प्रतिबंधित करने के इतिहास की ओर चलें तो 1921 में बनी मूक फिल्म ‘भक्त विदुर’ पहली ऐसी फिल्म मानी जाती है, जिसे बैन किया गया था. फिल्म में एक हिंदू पौराणिक चरित्र का किरदार विदुर था. उसके और महात्मा गांधी के बीच काफी समानताएं होने की वजह से अंग्रेज शासन ने इस पर पाबंदी लगा दी थी. ‘नील आकाशेर नीचे’ (1958) आजाद भारत की पहली फिल्म मानी जाती है जिस पर रोक लगा दी गई थी. मृणाल सेन के निर्देशन में बनी फिल्म महादेवी वर्मा की कहानी ‘चीनी भाई’ पर आधारित थी जो ब्रिटिश राज के आखिरी दिनों की कहानी थी. फिल्म दो महीने के बैन के बाद रिलीज हो सकी थी.

गुलजार की 1975 में आई फिल्म ‘आंधी’ को रिलीज के 26 हफ्ते बाद बैन कर दिया गया था. संजीव कुमार और सुचित्रा सेन ने इसमें मुख्य भूमिका निभाई थी. सुचित्रा ने एक नेता आरती देवी का किरदार निभाया, जिसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन से प्रेरित बताया गया था. इसके बाद आपातकाल लग गया. 1977 में आम चुनाव हुए और नई सरकार बनी, तब इसे फिर रिलीज किया गया. इसके अलावा अपने आपत्तिजनक विषयों, अत्यधिक खुलेपन और अत्यधिक हिंसात्मक दृश्यों के कारण भी कई फिल्में स्क्रीन तक नहीं पहुंच सकीं या लंबे इंतजार के बाद ही दर्शक उनका दीदार कर सके. शेखर कपूर की ‘बैंडिट क्वीन’ और मीरा नायर की फिल्म ‘कामसूत्र-अ टेल ऑफ लव’ इनमें से कुछ हैं.

इसी तरह 2005 में आई ‘‘परजानिया’’ 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित होने की वजह से विवादों में रही. गुजरात के सिनेमाघरों में फिल्म नहीं लगाई गई. 2008 में आई नंदिता दास निर्देशित ‘‘फिराक’’ भी ऐसे ही कुछ कारणों से विवाद में फंसी रही. आमिर खान अभिनीत ‘‘फना’’ (2006), निर्देशक शोनाली बोस की ‘‘अमु’’ (2005) और ऐसी कई तमाम फिल्में इस तरह की वजहों से विरोध का सामना करती रहीं. दीपा मेहता की ‘फायर’,’वाटर’ पंकज आडवाणी की ‘यूआरएफ प्रोफेसर’ भी इनमें शामिल हैं. काशीनाथ सिंह के मशहूर उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ पर आधारित ‘मोहल्ला अस्सी’ को अभी तक रिलीज की अनुमति नहीं मिल पाई है. ऐसी फिल्मों की एक लंबी फेहरिस्त है.

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