साल 2018 का बजट पेश होने में एक महीने से भी कम समय रह गया है. सरकार ने बजट को पेश करने की तैयारियां भी शुरू कर दी हैं. 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आ रहे इस बजट के लोकलुभावन होने की उम्मीद जताई जा रही है. ऐसे में इस बजट में सरकार का फोकस आम आदमी को कई मोर्चों पर राहत देने पर हो सकता है.
बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली जीएसटी को लेकर इनकम टैक्स स्लैब घटाने समेत कई बदलाव आम आदमी के हक में कर सकते हैं. इस बजट में सरकार आपके लिए घर खरीदना सस्ता कर सकती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आ रहे इस बजट से ये 5 सौगातें मिलने की उम्मीद है.
नोटबंदी के बाद से ही ये उम्मीद जताई जा रही थी कि आयकर टैक्स स्लैब को 2.5 लाख से बढ़ाय जा सकता है. हालांकि सरकार ने तब ऐसा नहीं किया. लेकिन एकबार फिर इस मांग को वित्त मंत्री के साथ बजट को लेकर हुई पूर्व परामर्श बैठक में श्रमिक संगठनों ने उठाया है. उन्होंने मांग की कि है कि इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाकर सालाना 5 लाख रुपये किया जाना चाहिए.
पिछले लंबे समय से कई बार इनकम टैक्स स्लैब बढ़ाने की मांग की जा चुकी है. उस पर श्रमिक संगठनों से उठ रही मांग और लोकसभा चुनाव को देखते हुए इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव तय माना जा रहा है. बता दें कि फिलहाल 2.5 लाख रुपये की सालाना आय से इनकम टैक्स स्लैब शुरू होता है. अगर सरकार स्लैब को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करती है, तो लोगों को इसका डबल फायदा मिलेगा.
जीएसटी में केंद्र सरकार लगातार बदलाव करती जा रही है. अब जब सरकार जीएसटी के बाद अपना पहला बजट पेश कर रही है, तो इसमें वह इस टैक्स व्यवस्था में भी अहम बदलाव कर सकती है. इस बजट में जीएसटी टैक्स स्लैब को कम किया जा सकता है. मौजूदा समय में 0, 5, 12, 18, 28 फीसदी के टैक्स स्लैब हैं. इस बजट में सरकार 12 और 18 फीसदी के टैक्स स्लैब को एक कर सकती है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत सरकार के कई केंद्रीय मंत्री इस तरफ संकेत दे चुके हैं कि जीएसटी में टैक्स स्लैब कम किये जा सकते हैं. इससे उम्मीद जताई जा रही है कि बजट में यह बदलाव होना तय है
इस साल के बजट में सबसे बड़ा तोहफा घर खरीदने वालों को मिल सकता है. वित्त मंत्री अरुण जेटली बजट में प्रॉपर्टी को जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला ले सकते हैं. पिछले दिनों उन्होंने खुद इसका संकेत दिया था. अगर ऐसा होता है तो आम आदमी को घर खरीदना सस्ता पड़ सकता है.
इसकी संभावना इसलिए भी प्रभल है क्योंकि अब कंस्ट्रक्शन मटीरियल पर बिल्डर्स को इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाता है. ऐसे में सरकार न सिर्फ रियल इस्टेट को जीएसटी के तहत शामिल कर सकती है, बल्कि स्टांप ड्यूटी में भी कुछ राहत दे सकती है.
इस बजट में मोदी सरकार का फोकस देश में रोजगार बढ़ाने पर भी होगा. इसके लिए सरकार बजट में राष्ट्रीय रोजगार नीति की घोषणा कर सकती है. इस नीति से देश में नौकरियां पैदा करना आसान किया जाएगा. इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस रोजगार नीति में आर्थिक, सामाजिक और श्रम नीतियों शामिल होंगी. ये नीतियां देश में रोजगार पैदा करने का रोडमैप तैयार करेगी.
ईटी ने आधिकारिक सूत्र के हवाले से लिखा है कि रोजगार के मौके ब ढ़ाने के लिए सरकार कारोबारियों को प्रोत्साहन दे सकती है. कंपनियों को आकर्षित करने के लिए जरूरी सुधार के साथ ही छोटे और मंझोले कारोबारियों की स्थिति सुधारने पर ध्यान दिया जा सकता है.
यह बजट शहरों के मुकाबले गांवों के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकता है. कृषि विकास का लगातार गिरता ग्राफ भी इस तरफ इशारा करता है. दूसरी तरफ, किसानों की हालत सुधारने पर भी सरकार का फोकस हो सकता है. पिछले कुछ वक्त में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट घटा है. इसमें वित्त वर्ष 2016-17 में 21 फीसदी की गिरावट आई है.
दरअसल जब एक्सपोर्ट की स्थिति बेहतर होती है, तो देश में कृषि उत्पादों की कीमतें भी नियंत्रण में रहती हैं. ऐसे में सरकार एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कुछ अहम फैसले बजट में ले सकती है. इसके अलावा किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्हें उनके उत्पाद का बेहतर मूल्य दिये जाने का इंतजाम किया जा सकता है. इसके साथ ही किसान कर्ज माफी पर भी कुछ अहम घोषणा हो सकती है.