एपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स फलाहार के लिए जाने जाते थे। उनकी डाइट फलों पर ही ज्यादा आधारित रहती थी। उनका मानना था कि इससे शरीर से खराब तत्व निकल जाते हैं। उनके देखा-देखी एक्टर एश्टन कचर ने भी इसका अनुसरण किया, लेकिन तब तक जब तक स्टीव जॉब्स जीवित थे।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या केवल फल पर निर्भर रहना गलत है? यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के न्यूरोएंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. रॉबर्ट लसटिग के अनुसार कुछ लोग इस तरह की डाइट पर हैं और वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं। लेकिन फिर भी कुछ लोगों में इस कारण से पोषण में कमी नजर आई। इस तरह की डाइट बच्चों के लिए तो बिल्कुल भी ठीक नहीं है। अनाज से मिलने वाले पोषण से वंचित रह जाते हैं। वे इस तरह की डाइट से डाइबिटीज की चपेट में आ सकते हैं।
चिंता किस बात की है: दरअसल प्राकृतिक शकर फलों में रहती है। लसटिग के अनुसार फ्रूट्स में सॉल्यूबल और इनसॉल्यूबल फाइबर दोनों रहते हैं। दोनों मिलकर पेट में जैल के समान एक रस बनाते हैं। छोटी आंत में यह काम करता है। यही जैल एक ऐसी दीवार आंतों में खड़ी कर देता है कि जिससे शरीर शकर को और ग्रहण नहीं करता है। इसी के कारण लिवर को थकान नहीं होती है। फ्रूट्स में पाई जाने वाली शकर के अलावा जो अन्य भाग रहता है, वह तेजी से पहले छोटी आंत में चले जाता है। आंतों में शुरुआती भाग में इतने बैक्टीरिया नहीं रहते हैं, जितने बाद में रहते हैं। लाखों करोड़ों माइक्रो बैक्टीरिया आंतों में रहते हैं। ये ही शकर को मेटाबोलाइज करते हैं।
दूसरी ओर यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन के सेंटर फॉर पब्लिक हेल्थ न्यूट्रीशन के निदेशक डॉ. एडम ड्रेवनोवस्की का कहना है कि केवल फलों का ही आहार लिया तो डायरिया की शिकायत हो सकती है। हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिसर्च कहती है कि ज्यादा फ्रूट ज्यूस लिया तो डायबिटीज का खतरा हो सकता है।
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