यूनीटेक : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को हमारी इजाजत लेनी चाहिए थी

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (12 दिसंबर) को कहा कि कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल को संकटग्रस्त रियल इस्टेट फर्म यूनीटेक लि का प्रबंधन केन्द्र को अपने हाथ में लेने की अनुमति देने से पहले इसके लिये उससे अनुमति लेनी चाहिए थी. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उन्हें एक और दिन देने का अनुरोध किया ताकि वह कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आदेश के खिलाफ यूनीटेक की अपील पर संबंधित प्राधिकार से आवश्यक निर्देश प्राप्त कर सकें.पीठ ने इस अनुरोध पर विचार किया. इस बीच पीठ ने यूनीटेक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि ट्रिब्यूनल ने कंपनी और जेल में बंद उसके निर्देशकों का पक्ष सुने बगैर ही अंतरिम आदेश दिया.

पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘इस न्यायालय की अनुमति ली जानी चाहिए थी जिसके पास यह मामला लंबित है.’’ इसके साथ ही न्यायालय ने यूनीटेक की अपील बुधवार (13 दिसंबर) को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दी. राष्ट्रीय कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने आठ दिसंबर को इस कंपनी के कुप्रबंधन और धन हडपने के आरोपों में इसके सभी आठ निदेशकों को निलंबित करते हुये केन्द्र सरकार को बोर्ड में दस व्यक्ति नामित करने के लिये अधिकृत किया था.

ट्रिब्यूनल ने यूनीटेक के करीब बीस हजार मकान खरीदारों के हितों की रक्षा के इरादे से केन्द्र सरकार के अनुरोध पर यह आदेश दिया था. ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में कहा था कि सरकार को 20 दिसंबर तक इन नामित व्यक्तियों के नाम देने होंगे और उसने यूनीटेक के आठ निदेशकों को अपनी और कंपनी की कोई भी संपत्ति बेचने से भी रोक दिया था.

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) ने बीते 8 दिसंबर को सरकार को कर्ज के बोझ तले दबी रीयल्टी कंपनी यूनीटेक लिमिटेड के निदेशक मंडल में 10 निदेशकों की नियुक्ति करने की मंजूरी दे दी थी. यूनिटेक के प्रबंधन पर धन के हेरफेर और कुप्रबंधन का आरोप लगने के बाद सरकार ने कंपनी के प्रबंधन को संभालने के लिए एनसीएलटी का रुख किया था. न्यायाधिकरण ने यूनीटेक लिमिटेड को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया था.

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