हाल ही में पंजाब सरकार पर केंद्र से मिली वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों को ऊंचे दामों पर बेचने के आरोप लगे तो अब फतेह किट में घोटाले का खुलासा हुआ है.
चंडीगढ़: कोरोना संकट महामारी के खिलाफ पूरा देश जंग लड़ने में लगा है, वहीं संकट के इस दौर में पंजाब में एक के बाद एक घोटाले उजागर हो रहे हैं. हाल ही में पंजाब सरकार पर केंद्र से मिली वैक्सीन को प्राइवेट अस्पतालों को ऊंचे दामों पर बेचने के आरोप लगे तो अब फतेह किट में घोटाले का खुलासा हुआ है. यह घोटाला एक आरटीआई में मांगी गई जानकारी के बाद सामने आया है. इस किट की खरीद को लेकर पंजाब सरकार सवालों की घेरे में आ गई है. हालांकि यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंच गया है. पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार से जवाब मांगा है और सरकार ने कार्रवाई का आश्वासन दिया है.
दरअसल, आरटीआई में खुलासा हुआ है कि पंजाब सरकार ने सभी नियमों को तोड़ा है और इस महामारी में कुछ खास लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर दिया है, जबकि वे बुनियादी मानदंडों और नियमों को पूरा नहीं कर रहे थे. साथ ही पंजाब सरकार ने महज 50 दिनों के अंदर फतेह किट के लिए 4 टेंडर जारी किए हैं और इस प्रक्रिया में सरकार ने उन बोलीदाताओं को बोली प्रक्रिया से अधिक भुगतान किया है, जिन्होंने कम दरें भी उद्धृत की हैं. विस्तृत करने के लिए, सरकार ने पहले 3 अप्रैल को फतेह किट के लिए एक निविदा जारी की, जिसमें सबसे कम बोली लगाने वाले को शुरू में कर सहित 838 रुपये का टेंडर दिया गया था, लेकिन बाद में सरकार ने खरीद के समय बोली लगाने वाले को 940 रुपये का भुगतान किया.
आरटीआई के अनुसार, इस टेंडर के तहत सरकार 180 दिनों तक इन दरों पर फतेह किट खरीद सकती थी लेकिन सरकार सिर्फ 13 दिनों में नया टेंडर जारी करती है, जिसके लिए सरकार ने बोली लगाने वाले को एक ही किट के लिए 1226 रुपये दिए. फिर से तीसरी बार, निविदा मंगाई गई थी. उसी बोलीदाता को निविदा की अनुमति दी और 1338 उसी फतेह किट के लिए. तो महज 50 दिनों के अंदर पंजाब सरकार ने 4 बार टेंडर निकाल कर महंगे दामों पर फतेह किट मंगवाई. एक और बड़ी बात यह है कि दो बार टेंडर देने वाले के पास फतेह किट बनाने का लाइसेंस तक नहीं था.
कोविड फतेह किट में हुआ घोटाला
सबसे पहले टेंडर ने संगम मेडिकल स्टोर ने 837.76 पैसे में टेंडर सबसे कम कीमत पर दिया, लेकिन सरकार ने 3 अप्रैल 2021 को 16668 कोविड-19 किट 940 रुपए में खरीदी. उसके बाद 20 अप्रैल को एक दूसरा टेंडर लगाया गया, जिसमें इस किट की कीमत 1226.40 लगाई गई, और ग्रैंड way नाम की कंपनी को 50,000 kit का टेंडर दिया गया. इस कंपनी के पास मेडिकल का लाइसेंस भी नहीं है. इसके बाद 7 मई को तीसरा टेंडर लगाया गया, जिस में कीमत 150,000 किट के लिए 1338 रखी गई. इस तरह जो किट पहले टेंडर में 837 रुपये में मिल रही थी उसके लिए तीसरे टेंडर में कीमत 1338 पर करीब 500 रुपये ज्यादा चली गई.
पहले टेंडर की जो शर्तें थी उसमें से शर्त नंबर 18 और 19 में लिखा था कि यह एक आरजी तौर पर की गई रिक्वेस्ट है. कोविड-19 किट की संख्या को कम या ज्यादा किया जा सकता है. इसी टेंडर की शर्त नंबर 30 के मुताबिक, यह टेंडर 180 दिन तक वैलिड रहेगा 180 दिन तक इसी रेट पर सरकार आपसे और किट खरीद सकती है. लेकिन सवाल यह है कि जब पहली किश्त के टेंडर पर इतना कम रेट मिल रहा था और यह 180 दिन तक वैलिड था. इसके बावजूद दूसरा और तीसरा टेंडर क्यों लगाया गया.
#COVID19 lockdown restrictions eased in Varanasi
I have opened my shop after 40 days. Only 10-15% people are coming here, says tea seller Monu Yadav
Today we got an opportunity to walk around & to have jalebi-kachori. We're following COVID appropriate behaviour, says a local pic.twitter.com/0zwXb9OGJh
— ANI UP (@ANINewsUP) June 7, 2021
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