नई दिल्ली: बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों ने भारत के बाजारों पर सीधा असर छोड़ा है. बांग्लादेश से सिले और बुने हुए कपड़ों के आयात में लगातार वृद्धि हो रही है और वृद्धि यहां के कपड़ा कारोबारियों के लिए एक नई चुनौती बन गई है. फरीदाबाद के कपड़ा कारोबारी अक्षय करण के सामने अब एक नई चुनौती है. बांग्लादेश से आयात हो रहे सस्ते कपड़ों से मुक़ाबले की ये चुनौती यहां के अधिकतर कारोबारियों की है.
भारतीय कपड़ा उद्योग महासंघ के मुताबिक, “इस साल जुलाई से नवंबर के बीच बांग्लादेश से 564 करोड़ से ऊपर का सिर्फ सिला और बुना हुआ कपड़ा भारत आया जबकि इसी अवधि में पिछले साल 380 करोड़ रुपये से ज़्यादा का सिला और बुना हुआ कपड़ा भारत आया था. यानी बांग्लादेशी सिले और बुने हुए कपड़े के आयात में 56 फ़ीसदी से ज़्यादा की बढ़ोतरी हुई. अब ये बढ़ोत्तरी भारतीय कारोबारियों को डरा रही है.
कपड़ा निर्माता अक्षय करण कहते हैं, “इसका सीधा असर ये पड़ेगा कि कपड़ा का रिटेलर बांग्लादेशी सामान ज़्यादा बेचेंगे, जिसका सीधा असर हमारे व्यापार पर पड़ेगा. सिर्फ भारतीय उद्योगपति प्रभावित नहीं होंगे, बल्कि भारतीय कपड़ा व्यापार से जुड़े कारीगर और वर्कर भी.”
कारोबारियों को लग रहा है कि जैसे चीन से सस्ता माल आकर भारतीय बाज़ार को बिगाड़ता रहा है, वैसे ही बांग्लादेश कपड़ों के बाज़ार में ये नौबत न ला दे. भारतीय कपड़ा उद्योग महासंघ के अध्यक्ष संजय जैन ने एनडीटीवी से कहा “कपड़े की आयात ड्यूटी 29 फीसदी से घटाकर 10 फ़ीसदी करने से संकट बढ़ा है. कपड़े के आयात को लेकर सरकार कपड़े के क्षेत्र में जीएसटी से पहले की व्यवस्था लागू करे.
कपड़ा उद्योग चाहता है कि सरकार अगले बजट में बंग्लादेश से बढ़ते आयात को लेकर कपड़ा उद्योग की चिंताओं को दूर करने के लिए पहल करे. अगर सरकार ने इस मसले को नज़रअंदाज़ किया तो आने वाले दिनों में भारतीय कपड़ा उद्योग पर इसका बुरा असर पड़ेगा.