अब चेन्नई में इलाज में लापरवाही का दर्दनाक मामला सामने आया है, जिसके चलते एक 14 वर्षीय लड़की की मौत हो गई. बच्ची एक साल से किडनी की समस्या से जूझ रही थी. स्थानीय कांचीपुरम हॉस्पिटल में इलाज के दौरान बच्ची की हालत बिगड़ने लगी. लेकिन बच्ची को चेन्नई के राजीव गांधी हॉस्पिटल ले जाने के लिए कांचिपुरम हॉस्पिटल 7 घंटे तक एंबुलेंस का इंतजाम नहीं कर सका और बच्ची की मौत हो गई.
परिजनों ने बच्ची की मौत के लिए कांचिपुरम हॉस्पिटल पर लापरवाही का आरोप लगाया है. कांचिपुरम हॉस्पिटल के डॉक्टरों का कहना है कि पीड़ित लड़की को डायलिसिस देने के दौरान कुछ कॉम्प्लिकेशन हो गए और उसकी हालत बिगड़ने लगी. हालांकि डॉक्टर यह बताने में असमर्थ रहे कि पीड़िता को किस तरह के कॉम्प्लिकेशन हुए.
उनका कहना है कि वे लगातार डॉक्टरों से कई बार एंबुलेंस बुलाने के लिए अनुनय-विनय किया, लेकिन डॉक्टरों के कान पर जूं नहीं रेंगा. अंततः परिजनों ने जिला कलेक्टर को सूचित किया. जिला कलेक्टर ने एंबुलेंस का इंतजाम तो कर दिया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. डॉक्टर एंबुलेंस की व्यवस्था करने में देरी होने को लेकर भी कोई सफाई नहीं दे पाए.
मृत बच्ची के पिता आनंदन पेशे से बुनकर हैं और राजीव गांधी हॉस्पिटल में एक साल से अपनी बच्ची का इलाज करा रहे थे. बच्ची 10वीं कक्षा में पढ़ रही थी और डायलिसिस पर चल रही थी. लेकिन परिजनों को डायलिसिस के लिए बार-बार राजीव गांधी हॉस्पिटल में जाने में परेशानी हो रही थी. इसलिए उन्होंने नजदीक के कांचिपुरम हॉस्पिटल में ही बच्ची को डायलिसिस देने का फैसला लिया.
कांचिपुरम हॉस्पिटल में उपचार के दौरान रविवार की दोपहर करीब 12.0 बजे लड़की की हालत बिगड़ने लगी. उस समय मौजूद डॉक्टर ने लड़की को तुरंत राजीव गांधी हॉस्पिटल ले जाने का सुझाव दिया. लेकिन उस समय बच्ची को ले जाने के लिए कोई एंबुलेंस उपलब्ध नहीं था. एंबुलेंस आने में देर होने लगी. इस बीच बच्ची के माता-पिता उसे ढाढस बंधाते रहे कि जल्द ही एंबुलेंस आ जाएगा.
इस बीच बच्ची को सांस लेने में हो रही परेशानी बढ़ती ही गई. अंततः जिला कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद एंबुलेंस तो आ गई, लेकिन बच्ची ने राजीव गांधी हॉस्पिटल जाते हुए रास्ते में ही दम तोड़ दिया.