LAC पर हथियारों और जवानों के लिए बनाए आधुनिक बैरक-युद्ध की तैयारियों में लग गया चीन?

भारत-चीन में पांच महीनों से जारी सीमा विवाद के बीच क्या ड्रैगन युद्ध की तैयारियों में लग गया है? क्या आने वाले समय में दोनों देशों के बीच माहौल और तनावपूर्ण होने जा रहे हैं? ऐसे सवाल उन रिपोर्ट्स के बाद उठने लगे हैं, जिनमें बताया गया है कि चीन ने तिब्बत के नगारी क्षेत्र की सीमा पर आधुनिक बैरक बनाए हैं। पड़ोसी देश ने अपने सैनिकों और हथियारों को रखने के लिए इन बैरकों का निर्माण किया है। चीन की सरकारी मीडिया रिपोर्ट में ‘युद्ध की तैयारियों’ जैसे शब्दों का भी जिक्र है।

लद्दाख सीमा पर चल रहे वर्तमान तनाव के बीच चीन ने इन नवनिर्मित स्थायी बैरकों का तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र (टीएआर) में पीएलए के सैनिकों के लिए निर्माण किया है। यह संभवत: पहली बार उन सैटेलाइट तस्वीरों की पुष्टि है, जो इस साल की शुरुआत में सामने आई थीं। उन तस्वीरों में नगारी क्षेत्र की वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास बड़े पैमाने पर निर्माण की गतिविधियों को देखा जा सकता था।

हालांकि, सीमा पर कितने चीनी सैनिकों की मौजूदगी है, भले ही इसका सही जवाब नहीं मिल सका हो। लेकिन, रिपोर्ट्स और तस्वीरों को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीनी सैनिक बड़ी संख्या में मौजूद हैं। ये बैरक 1962 के भारत-चीन युद्ध के प्राथमिक युद्ध मोर्चों के करीब 15000 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं।

चीन के सरकारी ब्रॉडकास्टर, चाइना सेंट्रल टेलीविजन (सीसीटीवी) ने इस बारे में ब्योरा साझा नहीं किया है कि इन बैरकों को बनाने में कितना समय लगा या फिर निर्माण की शुरुआत कब हुई, लेकिन यह बताया गया है कि इन बैरकों के निर्माण में कई आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया गया, जिससे इसके बनने में काफी कम समय लगा।

चीनी सेना ने जारी कीं तस्वीरें

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बैरकों की कुछ तस्वीरों को साझा किया है। इनमें बड़ी सी इमारतों के अलावा हथियारों को रखने की सुविधाओं को देखा जा सकता है। दो अक्टूबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया, “अधिकारियों और सैनिकों की रोजमर्रा की जिंदगी को सुगम बनाने के अलावा, ये न्यू जैनरेशन के बैरक सेवा की अवधारणा और युद्ध की तैयारियों पर भी रोशनी डालते हैं।” रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सैनिकों और अधिकारियों के डॉरमेट्री एरिया की सीढ़ियों और कॉरिडोर को चौड़ा किया गया है, जिससे तेजी से जवान आ सकें। इसके अलावा, युद्ध की तैयारी सामग्री वाले गोदाम और गैरेज को आपातकालीन स्थितियों में सैनिकों की तेजी से लोडिंग और उन्हें पहुंचाने की सुविधा के लिए जोड़ा गया है।

चीनी सैनिकों को और कैसी सुविधाएं प्रदान करेंगे ये बैरक?

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि न्यू जेनरेशन के इन बैरकों के चालू होने से गार्ड्स और सैनिकों के बीच ऊंचाई की वजह से होने वाली बीमारी की घटनाओं में भी कमी आएगी। वहीं, पठार क्षेत्र की सर्दी और ऊंचाई वाले वातावरण को देखते हुए न्यू जेनरेशल के इन बैरकों की डिजाइन और निर्माण  गर्मी के संरक्षण, ऊर्जा की बचत को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

तनाव कम करने पर दोनों पक्ष कर रहे वार्ता

अप्रैल से सीमा पर चल रहे तनाव को कम करने के लिए भारत-चीन लगातार बातचीत कर रहे हैं। दोनों देश कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के जरिए तनावपूर्ण माहौल में नरमी लाने की कोशिशें कर रहे हैं। हालांकि, अभी तक पूरी तरह से सफलता नहीं मिल सकी है। दोनों देशों के बीच छह बार कोर कमांडर स्तर की वार्ताएं हो चुकी हैं, जबकि सातवें दौर की वार्ता 12 अक्टूबर को हो सकती है। पिछली बार कोर कमांडर स्तर की बातचीत 21 सितंबर को हुई थी, जिसमें कई बातों पर सहमति बनी थी। यह बैठक 13 घंटे तक चली थी।

 

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