लद्दाख (Ladakh) में हिंसक झड़प के बावजूद चीन (China) अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा है. उसने शनिवार को आधिकारिक तौर पर पहली बार कहा कि पूर्वी क्षेत्र में भूटान (Bhutan) के साथ उसका सीमा विवाद है.
नई दिल्ली: लद्दाख (Ladakh) में हिंसक झड़प के बावजूद चीन (China) अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति से बाज नहीं आ रहा है. उसने शनिवार को आधिकारिक तौर पर पहली बार कहा कि पूर्वी क्षेत्र में भूटान (Bhutan) के साथ उसका सीमा विवाद है. चीन का यह बयान भारत के लिए इसलिए महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) पर बीजिंग लगातार दावा जताता आया है. यह बात चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से अंग्रेजी समाचारपत्र हिंदुस्तान टाइम्स को जारी एक बयान में कही गई है. इसके मुताबिक चीन-भूटान सीमा को कभी भी सीमांकित नहीं किया गया है. चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि बीजिंग हमेशा चीन-भूटान सीमा मसले पर बातचीत को तैयार है.
तीसरे पक्ष यानी भारत की दखल पर आपत्ति
चीनी विदेश मंत्रालय के इस बयान के मुताबिक पूर्वी, मध्य और पश्चिमी सेक्टर में लंबे समय से विवाद चल रहा हैं. साथ ही यह भी कहा कि तीसरे पक्ष को इस मामले में दखल नहीं देना चाहिए. चीन का साफतौर पर इशारा भारत की और है. गौरतलब है कि भूटान और चीन ने अपनी सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 1984 और 2016 के बीच 24 बार बातचीत की है. इसके अलावा भूटानी संसद में हुई चर्चा के अनुसार, केवल पश्चिमी और मध्य सीमा के विवादों पर केंद्रित है.
पहली बार किया पूर्वी सीमा पर दावा
इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पूर्वी सीमा को कभी भी वार्ता में शामिल नहीं किया गया. उन्होंने कहा, ‘दोनों पक्षों ने कहा था कि चर्चा को मध्य और पश्चिमी सीमा तक सीमित कर दिया गया था. इस मुद्दे को सुलझाने के लिए एक पैकेज डील की बात भी थी. यदि पूर्वी सीमा पर चीन की स्थिति वैध थी, तो इसे पहले ही लाया जाना चाहिए था.’
पीएम मोदी ने कल ही साधा था चीन पर निशाना
भूटान के एक विशेषज्ञ ने बताया कि यह पूरी तरह से नया दावा है. दोनों पक्षों की बैठकों के हस्ताक्षर किए गए हैं, जो कि विवादों को केवल पश्चिमी और मध्य तक सीमित करता है. भारतीय अधिकारियों से चीन के दावे पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि, चीन का दावा शुक्रवार को लद्दाख की यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस बयान के खिलाफ है कि ‘विस्तारवाद का युग’ खत्म हो गया है. पीएम मोदी के इस बयान को चीन के लिए दिए गए संकेत के रूप में माना गया था कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए संकल्पबद्ध है.
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