चीन (China) की खुफिया रिपोर्ट (internal) के हवाले से कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस के चलते चीन को अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के गुस्से (global backlash) का शिकार होना पड़ सकता है.
बीजिंग: चीन (China) की एक खुफिया रिपोर्ट (internal report) में चेतावनी दी गई है कि बीजिंग (Beijing) के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का गुस्सा बढ़ रहा है. चीन की इंटरनल रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से चीन पूरी दुनिया की नजरों में चुभने लगा है. रॉयटर के हवाले से कहा जा रहा है कि चीन के अमेरिका के साथ रिश्तों में आई कड़वाहट संघर्ष में तब्दील हो सकती है.
Haryana: Mortal remains of Major Anuj Sood being taken to a cremation ground from his residence in Panchkula. He lost his life in an encounter in Handwara, Jammu & Kashmir on 2nd May. pic.twitter.com/CpcICLDSNI
— ANI (@ANI) May 5, 2020
रॉयटर के मुताबिक इस रिपोर्ट को पिछले महीने रक्षा मंत्रालय ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग समेत बीजिंग के बड़े नेताओं को सौंपी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के खिलाफ लोगों में जबरदस्त गुस्सा है. चीन के खिलाफ माहौल 1989 के तियानमेन चौक जैसी घटना जैसा बन गया है.
चीन के खिलाफ बढ़ रहा है अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का गुस्सा
रिपोर्ट को पढ़ने वाले एक्सपर्ट ने राय दी है कि चीन को महामारी के बाद खराब हालात से गुजरना होगा. अमेरिका समर्थित एंटी चाइना सेंटीमेंट अपने चरम पर होगा और मामला सशस्त्र विद्रोह तक जा सकता है. चीन और अमेरिका के बीच रिश्तों का तनाव आने वाले दिनों में अपने चरम पर होगा.
इस रिपोर्ट को चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ कंटपरेरी इंटरनेशल रिलेशंस (CICIR) ने तैयार किया है. CICIR चीन की टॉप इंटेलीजेंस बॉडी से मान्यता प्राप्त है.
रॉयटर के हवाले से कहा जा रहा है कि रिपोर्ट तक उनकी पहुंच तो नहीं है लेकिन इसे पढ़ने वाले लोगों से बात कर इसकी जानकारी हासिल की गई है.
रॉयटर ने जब इस बारे में चीन से आधिकारिक तौर पर जानना चाहा तो रक्षा मंत्रालय की तरफ से जवाब दिया गया कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
तियानमेन चौक की घटना पर चीन को आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ा था
CICIR 1980 से ही चीन का प्रमुख थिंकटैंक रहा है. ये रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आता है और चीन की सरकार को विदेश और रक्षा के मामलों में सलाह देता रहता है. CICIR की तरफ से भी इस बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया है.
जानकारी मिल रही है कि बीजिंग इस रिपोर्ट पर गंभीर है. चीन अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों और रक्षा के मामले पर अलर्ट मोड में आ चुका है. हालांकि पिछले दिनों देखा गया है कि चीन और अमेरिका के रिश्ते किस कदर खराब हुए हैं. कोरोना वायरस पर अमेरिकी हमले से चीन की स्थिति कमजोर हुई है. खासकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में कोरोना वायरस की वजह से चीन बदनाम हुआ है.
#WATCH Security personnel chant "Shaheed Ashwani Kumar Yadav amar rahein, Shaheed C Chandrasekar amar rahein, Shadeed Santosh Kumar Mishra amar rahein", as they pay their last respects to the three CRPF personnel who lost their lives in terrorist attack in Handwara, J&K yesterday pic.twitter.com/3qh7mg1URr
— ANI (@ANI) May 5, 2020
रिपोर्ट में कहा गया है कि एंटी चाइना सेंटीमेंट के बढ़ावा देने की वजह से चीन का बेल्ट एंड रोड इंफ्रास्ट्रक्चर इंवेस्टमेंट प्रोजेक्ट पर असर पड़ सकता है. वाशिंगटन अपने स्थानीय सहयोगियों को आर्थिक और मिलिट्री मदद देकर चीन के सामने चुनौती खड़ी कर सकता है. ये पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरनाक होगा.
चीन में तियानमेन चौक जैसी घटना दोहराने की बात चल रही है. तीन दशक पहले 4 जून, 1989 को कम्युनिस्ट पार्टी के उदारवादी नेता हू याओबैंग की मौत के खिलाफ हजारों छात्र चीन के तियानमेन चौक पर प्रदर्शन कर रहे थे. चौक पर जमा लोकतंत्र समर्थकों पर चीनी सरकार ने सैन्य कार्रवाई कर दी थी.
3 और 4 जून की दरम्यानी रात को सेना ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की. सेना ने उन पर टैंक चढ़ा दिया था. चीनी लोग कहते हैं कि उस घटना में करीब 3000 लोग मारे गए थे, हालांकि चीनी सरकार कहती है कि 200 से 300 लोग मारे गए थे. जबकि, यूरेपीय मीडिया ने 10 हजार लोगों के नरसंहार की आशंका जताई थी.
रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि तियानमेन चौक की घटना के बाद अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों ने चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. चीन पर आर्म्स सेल से लेकर टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर पर रोक लगा दी गई थी. जिसके परिणाम में चीन को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.
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