नई दिल्ली। कर्नाटक में बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम ये तय नहीं करेंगे कि स्पीकर को इस्तीफा स्वीकार करना चाहिए या नहीं, हम केवल ये देख सकते हैं कि संवैधानिक रूप से स्पीकर पहले किस मुद्दे पर फैसला ले सकते हैं।
सीजेआई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से पूछा कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए क्या आधार दिए गए। जिसपर रोहतगी ने जवाब दिया कि जब आपकी पार्टी का विधायक आपके साथ नहीं, दूसरी पार्टी के साथ खड़ा हो जाता है तो समझना चाहिए कि अब वह आपके साथ नहीं है। लेकिन स्पीकर स्पीकर मनमाने ढंग से इस्तीफा मंजूर करने के बजाय अयोग्य ठहराना चाहते हैं। रोहतगी ने कहा कि स्पीकर इतने दिनों तक इस्तीफा रोककर नहीं रख सकते, उन्हें जल्द फैसला लेना होगा।
सुनवाई के दौरान सीजेआई रंजन गोगोई ने बागी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी से इस्तीफे की तारीख पूछी। जिसपर रोहतगी ने कहा कि 6 जुलाई को विधायकों ने इस्तीफा दिया था, केवल दो के खिलाफ अयोग्य का मामला लंबित, 5 और विधायकों न दिया इस्तीफा लेकिन स्पीकर इसे मंजूर नहीं कर रहे हैं। अयोग्यता की कार्रवाई अनुचित है। रोहतगी ने कहा कि उमेश जाधव ने इस्तीफा दे दिया था और उनका इस्तीफा भी मंजूर हुआ था। विधायकों की ओर से बोलते हुए रोहतगी ने कहा कि मैं विधायक बने रहना नहीं चाहता। कोई मुझे इसके लिए मजबूर नहीं कर सकता, लिहाजा मेरा इस्तीफा स्वीकार किया जाना चाहिए। रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि 10 जुलाई को स्पीकर ने विधायकों को मिलने के लिए बुलाया था, 11 जुलाई को स्पीकर से मीटिंग के बाद उन्होंने इस्तीफा सौंपा था। लेकिन उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया। ये उनके इस्तीफे को रोकने की कोशिश है, स्पीकर एक ही समय में-इस्तीफे और अयोग्यता दोनों मुद्दों पर निर्णय लेने का प्रयास कर रहे हैं।