डिफॉल्टर्स की लिस्ट 18 मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं. फडणवीस के कैबिनेट के कई बड़े नाम इस लिस्ट में शामिल हैं, जिनके बंगलों को बीएमसी ने डिफॉल्टर घोषित किया है
मुंबई: महाराष्ट्र में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां बृहन्मुंबई महानगरपालिका ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्र देवेंद्र फडणवीस के बंगले ‘वर्षा’ को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है. बताया जा रहा है कि सीएम पर 7,44,981 रुपये का पानी का बिल बकाया था. डिफॉल्टर्स की लिस्ट 18 मंत्रियों के नाम भी शामिल हैं. फडणवीस के कैबिनेट के कई बड़े नाम इस लिस्ट में शामिल हैं, जिनके बंगलों को बीएमसी ने डिफॉल्टर घोषित किया है. उन पर भी पानी का बिल बकाया है.
बता दें, फडणवीस ने हालही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया है. पूर्व कांग्रेस नेता राधाकृष्ण विखे पाटील और मुंबई भाजपा प्रमुख आशीष शेलार सहित आठ विधायकों ने 16 जून को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र कैबिनेट में मंत्री के रूप में शपथ ली थी. मंत्रिमंडल विस्तार के तहत इन आठ मंत्रियों के अलावा पांच को कनिष्ठ मंत्री के तौर पर शामिल किया गया था. राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र की शुरुआत और विधानसभा चुनावों से करीब चार महीना पहले मंत्रिमंडल का विस्तार किया गया है.
राज्य में मंत्रिमंडल का यह तीसरा विस्तार है और इसमें किसी नई महिला नेता को शामिल नहीं किया गया है. महाराष्ट्र में भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार में दो ही महिला मंत्री हैं-पंकजा मुंडे और विद्या ठाकुर.
राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष रह चुके विखे पाटील और हाल में शिवसेना में शामिल हुए पूर्व राकांपा नेता जयदत्त क्षीरसागर ने रविवार को मंत्री पद की शपथ ली. मुंबई भाजपा प्रमुख शेलार को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. मुंबई क्रिकेट संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे शेलार को इससे पहले मंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. 2017 के नगर निगम चुनाव के दौरान उनके नेतृत्व में निकाय संस्था में भाजपा का प्रतिनिधित्व 33 से बढ़कर 83 होने के बाद से ही उनकी दावेदारी मजबूत हुई थी.
यह पहली बार है जब रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) से एक नेता अविनाश महातेकर को भी फडणवीस सरकार में कनिष्ठ मंत्री के तौर पर शामिल किया गया है. आरपीआई (ए) प्रमुख और राज्यसभा के सदस्य रामदास अठावले इस वक्त केंद्र की राजग सरकार में राज्यमंत्री हैं. विखे पाटील, क्षीरसागर और महातेकर फिलहाल राज्य विधानसभा के किसी सदन के सदस्य नहीं हैं और वे छह महीने तक ही मंत्री पद पर बने रह सकते हैं. नियम के अनुसार उन्हें छह महीने के अंदर विधान परिषद के लिये निर्वाचित होना होगा. हालांकि राज्य विधानसभा के चुनाव सितंबर-अक्टूबर में होने वाले हैं इसलिए ये मंत्री विधानसभा के मौजूदा कार्यकाल तक अपने-अपने पदों पर बने रह सकते हैं.
भाजपा के सुरेश खाडे, संजय कुटे, अनिल बोंडे एवं अशोक उइके और शिवसेना के तानाजी सावंत ने मंत्री पद की शपथ ली. इनमें सावंत ही एकमात्र ऐसे मंत्री हैं जो विधान परिषद के सदस्य हैं जबकि अन्य विधायक हैं. भाजपा के योगेश सागर, संजय उर्फ बाला भेगड़े, परिणय फुके और अतुल सावे को राज्यमंत्री के तौर पर शामिल किया गया है. फुके विधान परिषद के सदस्य हैं जबकि अन्य विधानसभा के निचले सदन के सदस्य हैं.
(इनपुट- एजेंसियां)