सीएम केजरीवाल ने एमसीडी पर उठाए सवाल-कहा- डॉक्टरों को वेतन ना मिलना शर्मनाक

नई दिल्लीः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि एमसीडी के डॉक्टरों को कई महीने से तनख्वाह नहीं मिल रही है, यह बेहद ही शर्मनाक बात है। इस तरह के कुप्रबंधन और घोर भ्रष्टाचार से एमसीडी नहीं चल सकती। एमसीडी में भ्रष्टाचार बंद होना जरूरी है। जिन डॉक्टरों ने हमारे परिवारों की रक्षा, इलाज और सेवा करने के लिए जान जोखिम में डाली, आज वे हड़ताल पर हैं। इस संवेदनशील मुद्दे पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। कहा कि 2015 में हमारी सरकार बनी है, तब से हमने पिछली सरकारों की तुलना में दो-तीन गुना ज्यादा पैसे का भुगतान किया है, वह पैसा कहां गया? केंद्र सरकार दिल्ली नगर निगम को छोड़कर पूरे देश के सभी नगर निगमों को अनुदान देती है। केंद्र सरकार को अनुदान के 12000 करोड़ रुपये एमसीडी को देने हैं, अभी इसमें से कुछ पैसे दे देना चाहिए, ताकि डॉक्टरों के वेतन का भुगतान किया जा सके।

– सैलरी पर राजनीति नहीं होनी चाहिए

केजरीवाल ने वेस्ट टू एनर्जी प्लांट के उद्घाटन के मौके पर एमसीडी के डॉक्टरों द्वारा वेतन को लेकर की जा रही हड़ताल के संबंध में भी सरकार की स्थिति साफ की। उन्होंने कहा कि अभी अपने नगर निगम के कुछ डॉक्टर हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनको कई महीने से तनख्वाह नहीं मिली है। यह हम सब लोगों के लिए बड़े शर्म से डूब मरने वाली है, जिन डॉक्टरों ने कोरोना के समय अपनी जान की बाजी लगाकर हमारे परिवार और हमारी रक्षा की, हमारा इलाज किया, हमारी सेवा की, उन डॉक्टरों को कई-कई महीनों तक सैलरी नहीं मिले, यह सही नहीं है। यह बहुत ही बड़ा संवेदनशील मामला है। इस मुद्दे पर बिल्कुल भी राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम पिछले कई सालों से देख रहे हैं कि नगर निगम में बार-बार तनख्वाह देने के लाले पड़ जाते हैं। कभी सफाई कर्मचारियों को तनख्वाह नहीं मिली, कभी शिक्षकों को तनख्वाह मिली, कभी डॉक्टरों को तनख्वाह नहीं मिली।

– एमसीडी में भर्तियां भी नहीं हुई, तो सैलरी के पैसे कहां गए

सीएम केजरीवाल ने कहा कि संविधान और कानून के अंदर साफ-साफ लिखा हुआ है। टैक्स दिल्ली की आम जनता देती है, यह पैसा जनता का है। यह पैसा मेरा नहीं है। संविधान में लिखा है कि टैक्स से कितने पैसे आएंगे और कैसे-कैसे बांटे जाएंगे? जितना पैसा संविधान में लिखा हुआ है, हमने एमसीडी को अभी तक उससे 10 रुपये अधिक ही दिया है। हमारी सरकार 2015 में आई थी। 2013 में कांग्रेस की सरकार थी। 2014 में राष्ट्रपति शासन था, बीजेपी की सरकार थी। उन दिनों में नगर निगमों को जितने पैसे देते थे, हम लोगों ने उससे दोगुना-तीन गुना पैसे देने शुरू कर दिए वो पैसे कहां गए? एमसीडी के अंदर 2013 और 2014 के बाद नई भर्तियां भी नहीं हुई है। कर्मचारियों की दोगुनी-तीन गुनी सैलरी भी नहीं बढ़ी है। अगर हमने पैसे दोगुने तीन गुने देने शुरू कर दिए, तो नगर निगम में पैसे जा कहां रहे हैं? सफाई कर्मचारियों की तनख्वाह क्यों नहीं मिल पा रही है, डॉक्टरों की तनख्वाह क्यों नहीं मिल पा रही है, शिक्षकों की तनख्वाह क्यों नहीं मिल पा रही है? यह सोचने वाली बात है। दिल्ली सरकार का जितना पैसा बनता था, हमने एक-एक पैसा नगर निगम को दे दिया है।

– नगर निगम पर दिल्ली सरकार का 3800 करोड़ रुपए का लोन

सीएम केजरीवाल ने कहा कि जब से यह सारा मुद्दा चल रहा है, पिछले तीन-चार दिनों में मैंने सारा पता कराया है और पता चला है कि हमने इतना ज्यादा पैसा लोन के रूप में दे रखा है कि नगर निगम को दिल्ली सरकार का 3800 करोड़ रुपए लोन का वापस करना है। हमें नगर निगमों को पैसा नहीं देना है, बल्कि नगर निगम को ही हमारे 3800 करोड़ रुपये वापस करना है। जल बोर्ड नगर निगम को पानी देता है। जल बोर्ड का 3000 करोड़ रूपये नगर निगम पर बिल बकाया पड़ा हुआ है। नगर निगम को वह पैसा वापस करना है। हमारा ही पैसा उनके पास पड़ा हुआ है।

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