कोरोना संकट के बीच सरकार ने आम करदाताओं को बड़ी राहत दी है। सरकार ने टैक्स छूट पाने के लिए निवेश करने की समयसीमा को 31 मार्च से बढ़ाकर 30 जून कर दिया है। टैक्स विशेषज्ञों ने बताया कि यह लाखों टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत देने वाला कदम है। कोरोना संकट के चलते 31 मार्च तक निवेश कर बचत पाना बहुत से लोगों के लिए संभव नहीं था, क्योंकि बहुत सारे बैंक पूरी क्षमता से काम नहीं कर रहे हैं।
कोरोना संकट की वजह से बदलाव
सरकार ने टैक्स से जुड़ी ज्यादातर चीजों की समयसीमा को बढ़ा दिया है। जिन चीजों की समयसीमा बढ़ाई गई है उनमें पैन के साथ आधार लिंक करना, टैक्स बचत के लिए निवेश, ब्याज और पेनाल्टी के बगैर विवाद से विश्वास स्कीम के तहत टैक्स का निपटान शामिल है। सरकार ने यह फैसला देशभर में कोरोना संकट के कारण लॉक डाउन को देखते हुए किया है। समयसीमा बढ़ाने से लाखों टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी।
निवेश के लिए मौजूदा समय में ईएलएसएस बेहतर विकल्प
सेबी सर्टिफायड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी ने हिंदुस्तान को बताया कि आम टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स बचत के लिए मौजूदा समय में ईएलएसएस एक बेहतर विकल्प है। ऐसा इसलिए कि कोरोना संकट से बाजार छह साल के निचले स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे में वह तीन साल का लॉक इन पीरियड का ईएलएसएस लेकर अपने निवेश पर टैक्स छूट के साथ शानदार रिटर्न भी प्राप्त कर सकते हैं। इसमें निवेश पर इक्विटी के मुकाबले जोखिम है।
1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का मौका
आयकर की धारा 80सी के तहत टैक्स छूट का लाभ लेने के लिए कई विकल्प मौजूद हैं। पीपीएफ, एनएससी, टैक्स सेविंग टर्म डिपोजिट और ईएलएसएस आदि इनमें शामिल हैं। ईएलएसएस मार्केट जोखिमों के अधीन आते हैं। इसमें टैक्सपेयर्स 1.5 लाख रुपये तक सालाना निवेश कर टैक्स छूट प्राप्त कर सकता है। लोकप्रिय टैक्स सेविंग्स स्कीम में एक पीपीएफ ने 15 सालों में 8.5 पर्सेंट का सालाना रिटर्न दिया है। समान अवधि में ईएलएसएस ने 14.8 पर्सेंट का रिटर्न दिया है।
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