देशभर में कोरोना वायरस महामारी लगातार तेज रफ्तार के साथ लोगों को अपना शिकार बन रही है। भारत में अब तक कोरोना संक्रमण के कुल मामले 3 लाख के पार हो चुके हैं। शनिवार को कोरोना के पिछले 24 घंटे के दौरान 11458 नए मामले सामने आए हैं, जबकि 386 लोगों की मौत हो गई। इसके बाद देश में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,08,993 हो गई।
भारत में एक दिन में #COVID19 के सर्वाधिक 11,458 नए मामलों के साथ मामलों की संख्या 3 लाख के पार। कुल मामलों की संख्या 3,08,993 हुई, पिछले 24घंटों में 386 मौतें हुईं। देश में अब 1,45,779 सक्रिय मामले, 1,54,330 ठीक/डिस्चार्ज/विस्थापित मामले और 8,884 मौतें हुईं: स्वास्थ्य मंत्रालय pic.twitter.com/cHD87quu1L
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 13, 2020
कोरोना संक्रमण से अब तक मरने वालों की कुल संख्या बढ़कर 8,884 हो चुकी है। कोरोना के आज नए मामले आने के बाद अब कुल एक्टिव कोरोना केस की संख्या बढ़कर 1 लाख 45 हजार 779 हो गई है। हालांकि, कोरोना से अब तक 1 लाख 54 हजार 330 लोग ठीक हो चुके हैं।
भारत में कोविड-19 के मामले 3 लाख के पार, अगले सप्ताह CMs से चर्चा करेंगे PM
कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद से भारत संक्रमित लोगों का आंकड़ा 3 लाख के पार चला गया। पिछले 10 दिन के भीतर ही एक लाख मामले सामने आने के मद्देनजर सरकार ने महामारी की रोकथाम के लिए सख्त उपाय अपनाने की जरूरत पर जोर दिया। वहीं, केंद्र ने शुक्रवार को राज्यों से कोविड-19 के उभरते केंद्रों (अत्यधिक मामलों वाले नये स्थानों) पर विशेष ध्यान देने और कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए सख्त कदम उठाने को कहा।
कोरोना वायरस के मद्देनजर लागू लॉकडाउन से देश के धीरे-धीरे बाहर आने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर विचार-विमर्श करेंगे। यह बैठक ऐसे समय में होने जा रही है जब देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। कोविड-19 के बीच ‘अनलॉक-1 के दौरान आम लोगों और कारोबारियों को कई तरह की छूट दी गई है ताकि लॉकडाउन से प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को गति मिल सके।
भारत ने कोरोना के मामले में ब्रिटेन को छोड़ा पीछे
सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये मुख्यमंत्रियों के साथ 16 और 17 जून को संवाद करेंगे। ‘वर्ल्डोमीटर के मुताबिक कोरोना वायरस के मामलों के लिहाज से गुरुवार को भारत ब्रिटेन को पीछे छोड़ दुनिया का चौथा सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया। भारत में कोरोना वायरस का सबसे पहला मामला 30 जनवरी को सामने आया था, जिसके बाद संक्रमितों की संख्या एक लाख तक पहुंचने में 100 दिन से अधिक का समय लगा लेकिन दो जून तक आंकड़ा 2 लाख तक पहुंच गया। चीन में पिछले दिसंबर में संक्रमण सामने आने के बाद से अब तक पूरी दुनिया में 75 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं, जिसमें से 4 लाख से अधिक मरीजों की मौत हो चुकी है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि लॉकडाउन को चरणबद्ध तरीके से खोले जाने संबंधी केन्द्र सरकार का फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया था और ऐसा कोविड-19 महामारी को फैलने से रोकने और लोगों को भूख से बचाने के प्रयास में संतुलन कायम करने के लिए किया गया था। कोर्टा ने लॉ के एक छात्र की जनहित याचिका को खारिज करते हुए उस पर 20 हजार रुपये का हर्जाना लगाया। इस छात्र ने केन्द्र के 30 मई के आदेश को चुनौती थी।
एलएनजेपी अस्पताल में शवों की हालत पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
केन्द्र ने आदेश दिया था कि कंटेनमेंट जोन में लॉकडाउन को बढ़ाया जा रहा है और निषिद्ध क्षेत्रों के बाहर चरणबद्ध तरीके से गतिविधियों को फिर से खोला जायेगा। वहीं, दिल्ली में कोविड-19 के लिये निर्दिष्ट लोक नायक जयप्रकाश नारायण हॉस्पीटल में कोरोना वायरस के मरीजों के बगल में शव रखे होने के ‘लोमहर्षक दृश्यों को गंभीरता से लेते हुये सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त लहजे में कहा कि यह सरकारी अस्पतालों की दयनीय हालत बयां कर रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने दिल्ली, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और गुजरात के मुख्य सचिवों को तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई करने और अस्पतालों में मरीजों की देखभाल का प्रबंध दुरूस्त करने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति अशोक भूषण , न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से इस मामले की सुनवाई करते हुये केन्द्र और चार राज्यों को नोटिस जारी किये। पीठ ने टिप्पणी की कि दिल्ली के अलावा इन राज्यों के अस्पतालों में भी कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के उपचार और शवों के मामले में स्थिति बहुत ही शोचनीय है।
कोविड-19 से संक्रमित व्यक्तियों के शवों के मामले में न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है और अस्पताल शवों के प्रति अपेक्षित सावधानी नहीं बरत रहे हैं।
कोर्ट ने कहा, ”मीडिया की खबरों के अनुसार, मरीजों के परिजनों को मरीज की मृत्यु के बारे में कई कई दिन तक जानकारी नहीं दी जा रही है। यह भी हमारे संज्ञान में लाया गया है कि शवों के अंतिम संस्कार के समय और अन्य विवरण से भी मृतक के निकट परिजनों को अवगत नहीं कराया जा रहा है। इस वजह से मरीजों के परिजन अंतिम बार न तो शव देख पा रहे हैं और न ही अंतिम संस्कार में शामिल हो पा रहे हैं।”
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार की ड्यूटी नागरिकों को यह सूचित करने पर खत्म नहीं हो जाती कि उसने सरकारी अस्पतालों में 5,814 बिस्तरों की व्यवस्था की है और निजी अस्पतालों को मिलाकर कुल 9,535 बिस्तर हैं। मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं होने, शवों को ठीक से नहीं रखने और कोविड-19 के मरीजों की कम जांच जैसे सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि मीडिया की खबरों के माध्यम से ये सारे तथ्य उसके सामने लाए गए हैं जिनसे साफ पता चलता है कि दिल्ली और दूसरे राज्यों के सरकारी अस्पतातों में कोविड-19 के मरीजों की स्थिति दयनीय है।
इस बीच, कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नही होने पर कड़ा रूख अपनाते हुये उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा, ”युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिये। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिये कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिये।
न्यायालय ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के जरिये डॉक्टरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है।
दिल्ली के उप-राज्यपाल ने किया उच्चस्तरीय समिति का गठन
उधर, राष्ट्रीय राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 महामारी से प्रभावशाली तरीके से निपटने के वास्ते सुझाव देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का शुक्रवार को गठन किया। इसमें भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक बलराम भार्गव को भी शामिल किया गया है।
बैजल दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के अध्यक्ष हैं। भार्गव के अलावा इस छह सदस्यीय समिति में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सदस्य कृष्ण वत्स और कमल किशोर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक रणदीप गुलेरिया, डीजीएचएस के अतिरिक्त डीडीजी डॉ. रवींद्रन और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केन्द्र के निदेशक सुरजीत कुमार सिंह शामिल हैं।
India crosses 3 lakh mark as it reports the highest single-day spike of 11,458 new #COVID19 cases; total cases rise to 308993; 386 deaths in the last 24 hours. There are 145779 active cases, 154330 cured/discharged/migrated & 8884 deaths in the country so far: Ministry of Health pic.twitter.com/BL5k2J3dbE
— ANI (@ANI) June 13, 2020
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