दिल्ली के शालीमार बाग में स्थित मैक्स हॉस्पिटल में दो दिन पहले जुड़वा बच्चों के जन्म के दौरान बरती गई लापरवाही के विरोध में मृत बच्चे के परिजनों शुक्रवार से ही अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे हैं. इस बीच दिल्ली सरकार ने कहा है कि गरीब मरीजों के इलाज में लापरवाही बरतने के लिए मैक्स हॉस्पिटल को पहले ही कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है.
दिल्ली सरकार ने अस्पताल को यह नोटिस 11 नवंबर को भेजा था. अब नया जीवित बच्चे को मृत बताए जाने का मामला सामने आने के बाद अस्पताल की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं. पुलिस ने भी शुरुआत में FIR दर्ज नहीं किया था और मामला दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन की लीगल सेल को फॉरवर्ड कर दिया था. IMA ने पूरे मामले की विस्तृत जांच का निर्देश दिया है.
हालांकि अब दिल्ली पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले की फाइल दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजेंगे. साथ ही पुलिस ने IPC की धारा 308 के तहत केस दर्ज कर लिया है. फिलहाल दूसरा बच्चा जीवित है और दूसरे अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. हालांकि बच्चे की हालत अभी नाजुक बनी हुई है.
ज्ञात हो कि जन्मे जुड़वा बच्चों में एक बच्चा जीवित था, जबकि अस्पताल ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर उनके शव पार्सल में बांध परिजनों को लौटा दिए थे. परिजनों का आरोप है कि जन्म के साथ ही जहां डॉक्टरों ने बताया कि एक बच्चा मृत ही पैदा हुआ था, वहीं दूसरे जीवित बच्चे के इलाज के लिए अस्पताल ने उनसे लाखों रुपयों की मांग की. जब उन्होंने उतनी बड़ी राशि में देने में असक्षमता जताई तो दूसरे बच्चों को भी मृत बता दिया.
ज्ञात हो कि बच्चों को जन्म देने वाली मां अभी भी मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती है. पीड़ित परिवार वालों और उनके नजदीकियों एवं समर्थकों ने इतनी सर्दी में पूरी रात अस्पताल के बाहर धरना दिया. पीड़ित परिवार की मांग है कि लापरवाही बरतने के आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार किया जाए और सरकार इस अस्पताल को फौरन बंद करे.
साथ ही पीड़ित परिवार का कहना है कि हो सकता है कि पहला बच्चा भी जिंदा रहा हो. बच्चों के शवों को पेपर और कपड़े की 6 तहों में लपेटा गया था. दूसरा जीवित बच्चा अब सरस्वती विहार के अग्रवाल हॉस्पिटल में भर्ती है, जहां उसका इलाज चल रहा है.
अग्रवाल हॉस्पिटल के डॉक्टर संदीप गुप्ता ने बताया कि बच्चा पूरी तरह विकसित नहीं है. उन्होंने कहा, “हमारी स्पेशलाइज्ड टीम बच्चे की देखभाल कर रही है. बच्चे के आजन्म मानसिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर रहने की आशंका है. हमने बच्चे के परिजनों को भी सारी स्थिति से अवगत करा दिया है. पिछले अस्पताल को भी यह सारी प्रक्रियाएं अपनानी चाहिए थीं और परिजनों को पूरी बात बतानी चाहिए थी.”