पुणे: महाराष्ट्र के पुणे में अंग्रेजों की जीत का जश्न मनाने पर हिंसा भड़क उठी. हिंसा में एक की मौत हो गई है. जबकि 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ की गई. भीमा कोरेगांव में दलित संगठनों ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर अंग्रेजों की जीत का शौर्य दिवस मनाया था.
दरअशल ये शौर्य दिवस इसलिए मनाया गया था, क्योंकि 1 जनवरी 1818 में कोरेगांव भीमा की लड़ाई में पेशवा बाजीराव द्वितीय पर अंग्रेजों ने जीत दर्ज की थी. इस दिवस में कुछ संख्या में दलित भी शामिल थे. इसी बात को लेकर कई गांव के लोगों और दलितों में संघर्ष हुआ, जिसमें एक की मौत हो गई.
सीएम ने की शांति की अपील
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने लोगों से अपील की है कि वह शांति बनाए रखें और अफवाहों पर ध्यान न दें. सीएम फड़णवीस ने बताया है कोरेगांव हिंसा की न्यायिक जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी जाएगी. साथ ही युवाओं की मौत के मामले में सीआईडी जांच होगी. राज्य सरकार ने मृतकों के परिवार को 10 लाख का मुआवजा देने का एलान किया है.
रविवार को दलित और लेफ्ट संगठन के लोगों ने शनिवार वाड़ा में लोगों को संबोधित किया था. शनिवार वाड़ा पेशवाई गद्दी थी. यहां उन्होंने जातिवाद के मुद्दे पर लोगों को संबोधित किया. इसके बाद से ही स्थिति बिगड़ गई थी. पुलिस ने रविवार को ही मामला संभालने की कोशिश करते हुए इलाके में धारा 144 लगा दी थी. सोमवार को भीमा कोरेगांव शौर्य स्थल की तरफ जाते वक्त भगवा झंडे लिए लोगों के दल ने गाड़ियों पर हमला बोल दिया. पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे में पेरने फाटा के पास विवाद हुआ.
पुलिस ने बताया कि मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. ग्रामीणों द्वारा जलाई गई गाड़ियों में बस और पुलिस वैन सहित कई चारपहिया वाहन शामिल हैं. कोरेगांव के पास स्थित सनसवड़ी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. सीआरपीएफ की दो टुकड़ियों को शिकरापुर स्टेशन में सोमवार सुबह तैनात किया गया है, ताकि आगे की घटनाओं को रोका जा सके.