सीमा पर भारत और चीन के बीच तनातनी जारी है। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों के साथ बैठक की है। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर चर्चा की गई।
लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर भारत और चीन में बढ़े तनाव के बीच सीमा के पास चीन ने अलग-अलग स्थानों पर 5000 सैनिकों को तैनात कर दिया है। भारत भी इसी अनुपात में यहां अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। भारत दूसरे इलाकों में भी सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा रहा है, ताकि चीनी सेना वहां से अतिक्रमण ना कर सके।
दौलतबेग ओल्डी और इससे जुड़े इलाकों में भारतीय सेना की 81 और 114 ब्रिगेड चीनी सैनिकों को रोकने के लिए तैनात है। वायुसेना की मदद से यहां सैनिकों को हेलिकॉप्टरों के जरिए पहुंचाया जा रहा है। भारतीय सेना के सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिक और भारी गाड़ियां लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दोनों तरफ पैंगोंग त्सो झील और फिंगर एरिया में भारतीय क्षेत्र तक आ चुकी हैं। गलवान नाला एरिया में चीनी भारतीय पोस्ट KM120 से 10-15 किलोमीटर दूर तक आ गए हैं और टेंट गाड़ दिए हैं।
सूत्रों ने बताया कि चाइनीज भारतीय ठिकाने के सामने रोड बना रहे हैं। भारतीय पक्ष ने इस पर आपत्ति भी जताई है लेकिन उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण जारी रखा है। गलवान इलाके में भारतीय सेना एक पुल बना रही है जिस पर चीनी सैनिकों ने आपत्ति जताई और सैनिकों की मौजूदगी बढ़ा दी है।
सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवने ने पिछले सप्ताह स्थिति की समीक्षा के लिए लद्दाख का दौरा किया था, जहां चीनी सैनिकों ने करीब 100 टेंटों को खड़ा किया था।
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