नई दिल्ली. विधानसभा में शुक्रवार को दिल्ली में नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) नहीं लागू करने का प्रस्ताव पास किया गया। विधानसभा में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि मेरे परिवार और पूरी कैबिनेट का बर्थ सर्टिफिकेट नहीं है तो क्या हमें डिटेंशन सेंटर में भेज दिया जाएगा? मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह एनपीआर और एनआरसी वापस लें। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था गिरावट के दौर से गुजर रही है, बेरोजगारी बेतहाशा बढ़ रही है और कोरोनवायरस महामारी से बड़े पैमाने पर खतरा है। ऐसे में सरकार को सीएए और एनआरसी को देश के हित में वापस ले लेना चाहिए।
दिल्ली, सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला छठा राज्य है। इससे पहले पुडुचेरी, पंजाब, मध्य प्रदेश, केरल और पश्चिम बंगाल भी सीएए और एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित कर चुके हैं। भाजपा गठबंधन वाली पार्टियों की सरकार वाले राज्य तमिलनाडु और बिहार भी इस पर अपनी आपत्ति दर्ज करा चुके हैं।
NPR और NRC के तहत जनता से अपनी नागरिकता साबित करने को कहा जाएगा। 90% लोगों के पास ये साबित करने के लिए कोई सरकारी जन्म प्रमाण पत्र नहीं है। क्या सबको डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा? ये डर सबको सता रहा है। केंद्र से मेरी अपील है की NPR और NRC को रोक दिया जाए। https://t.co/6ymx21Fmc7
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 13, 2020
विधायकों के जवाब पर केजरी बोले- यह केंद्र के लिए सबसे बड़ा संदेश
केजरीवाल ने विधानसभा में मौजूद सभी विधायकों से पूछा कि क्या आपके पास बर्थ सर्टिफिकेट है? इस पर 61 विधायकों ने ना में जवाब दिया। केजरीवाल ने कहा कि यह केंद्र के लिए सबसे बड़ा संदेश है। उन्होंने मोदी सरकार से अपील की कि एनपीआर और नेशनल रजिस्टर फॉर सिटीजन्स (एनआरसी) को वापस ले लिया जाए।
प्रस्ताव में कहा गया- 90 फीसदी भारतीयों के पास जरूरी दस्तावेज नहीं
एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव में कहा गया है कि एनपीआर और एनआरसी ने देश में डर और तनाव का वातारवरण बना दिया है। लोगों को चिंता है कि अगर उनके पास सिटिजनशिप साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं तो उन्हें डिटेंशन सेंटर्स में भेज दिया जाएगा। 90 प्रतिशत भारतीयों के पास वह जरूरी दस्तावेज नहीं है, जिनका जिक्र केंद्र ने किया है। केंद्र बताए कि अगर किसी के पास दस्तावेज नहीं हैं तो वह क्या करे? एनपीआर के डाटा के एनआरसी में इस्तेमाल पर भी केंद्र को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।