नई दिल्ली: कार्यालय लेने के लिहाज से दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र का इलाका दुनियाभर में 84वां सबसे महंगा स्थान है. इस क्षेत्र में कार्यालय लेने की सालाना लागत 5,392 ड\लर (3.5 लाख रुपये) है. प्रापर्टी कंसल्टेंट कुशमैन एण्ड वेकफील्ड ने यह निष्कर्ष जारी किया है. कार्यालय के लिहाज से हांगकांग सबसे महंगा स्थान है. यहां कार्यालय लेने का खर्च 27,431 डॉलर प्रति वर्ष है. इसके बाद लंदन और तोक्यो का स्थान है. कुशमैन एण्ड वेकफील्ड की ‘‘ऑफिस स्पेस एक्रास दि वर्ल्ड 2017’ नामक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है. इस रिपोर्ट में दुनियाभर के 215 स्थानों का अध्ययन किया गया है.
संपत्ति मामलों में सलाह देने वाली इस कंपनी के मुताबिक ‘‘दिल्ली-एनसीआर सबसे महंगे कार्यालय स्थलों की सूची में 84वें नंबर पर है. भारत के अन्य स्थान इस सूची में 100वें स्थान से भी आगे हैं. दुनिया के अन्य स्थानों के लिहाज से भारत में कार्यालय लेना काफी सस्ता है. अध्ययन के मुताबिक भारत में दिल्ली-एनसीआर का इलाका सबसे महंगा कार्यस्थल है. यहां 430 रुपये प्रति वर्गफुट का मासिक खर्च आता है. इसके मुताबिक प्रत्येक कार्यस्थल का सालाना खर्च 3,51,008 रुपये तक पहुंच जाता है.
कुशमैन एण्ड वेकफील्ड के भारत प्रमुख और प्रबंध निदेशक अंशुल जैन ने कहा, ‘‘वैश्विक लिहाज से भारत में कार्यालय स्थान लेना काफी प्रतिस्पर्धी है. इसके साथ ही भारत में प्रतिभायें भी काफी संख्या में उपलब्ध है. इससे वैश्विक कंपनियों को भारत में प्रवेश करने और विस्तार के लिये बेहतर परिस्थितयां उपलब्ध होतीं हैं.’’
भारत में ज्यादातर कार्यालय स्थल सेवा क्षेत्र द्वारा लिया गया है. इस मामले में रोजगार सृजन और कार्यालय लीजिंग में स्टार्ट अप्स का योगदान भी बढ़ रहा है. भारत में मुंबई, बांद्रा कुर्ला कम्पलैक्स 163वें स्थान पर है और यहां कार्यालय स्थल 2,00,000 लाख रुपये सालाना है जबकि गुड़गांव, सैंट्रल बिजलेस डिस्ट्रिक्ट में यह 1,00,800 रुपये सालाना पड़ता है.