कल दिल्ली में संजय राउत , शरद पवार से मिल कर निकले तो बताया कि किसानों की समस्या पर बात हुई. सरकार के बारे में नहीं. यही हाल शरद पवार का रहा. पवार सोनिया गांधी से मिल कर निकले तो बोले सरकार के बारे में कोई बात नहीं हुई. महाराष्ट्र की राजनीति के बारे में बात हुई.
अटल बिहारी वाजपेयी इंदिरा गांधी को इंगित करते हुए कहते थे , औरतों की ना भी हां होती है. तो क्या अब राजनीति में पुरुषों की ना भी हां होने लगी है ?
दरअसल भले अब बैल की खेती लगभग खत्म हो चुकी है लेकिन जानने वाले जानते हैं कि बिना बधिया किए बैल नहीं बनता कोई बछड़ा. कांग्रेस और एन सी पी इन दिनों शिवसेना को बैल बनाने के पहले की प्रक्रिया में ही व्यस्त हैं. युद्धस्तर पर….Bjp भी क्यों पीछे रहे
शिवसेना को काबू करने के नरेंद्र मोदी ने पहले भी एन सी पी का इस्तेमाल किया है.आज कोई पहली बार नहीं है.
याद कीजिए बीते साल जब शिवसेना ने बहुत ज़्यादा उछल कूद की थी तब भी नरेंद्र मोदी ने एन सी पी का इस्तेमाल किया था. शिवसेना सरकार से समर्थन वापसी की ब्लैकमेलिंग से रुक गई थी. क्यों कि भाजपा ने एन सी पी से समर्थन लेने का संकेत दिया था.
शरद पवार को पद्म विभूषण देना भी , शिवसेना को चेक एंड बैलेंस का ही गणित था. एक फैक्टर लालू यादव का हश्र भी है. बुढ़ापा कोई भी लालू की तरह जेल में नहीं गुज़ारना चाहता. न मुलायम , न मायावती , न शरद पवार क्यों कि यह सभी भ्रष्टाचार के रथ पर पूरी तरह सवार हैं.
राज्यसभा में नरेंद्र मोदी ने निःस्वार्थ एन सी पी की तारीफ़ नहीं की है. यह तो पानी की तरह साफ़ है. लेकिन मुख्य सवाल है कि महाराष्ट्र में कब और किस की सरकार. तो अभी तो पहले राउंड में शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को धोबी का कुत्ता बना दिया है. आगे की राम जानें , कांग्रेस जाने कि भाजपा. अभी तो सभी एक दूसरे को ठगने और तौलने में मशरूफ हैं.
स्मॉग सिर्फ़ दिल्ली और आसपास ही नहीं है. महाराष्ट्र की सत्ता राजनीति में भी है और यहां कोई एयर प्यूरीफायर भी नहीं है. फ़िलहाल तो स्मॉग को कोहरा समझ आनंद लीजिए….
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