पटना: केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ कभी बहुत मधुर सम्बन्ध नहीं रहे. कई मुद्दों पर राधामोहन और नीतीश कुमार के बीच पिछले तीन सालों में ठनी जिसके कारण कई योजनाओं के क्रियान्वयन पर प्रतिकूल असर पड़ा. लेकिन सार्वजनिक मंच से सहयोगी होने के बावजूद राधामोहन सिंह बृहस्पतिवार को नीतीश कुमार की आलोचना करने से नहीं चूके.
पटना में भाजपा के कृषि मोर्चा द्वारा आयोजित कृषि सम्मेलन में सिंह ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में, जब से वे कृषि मंत्रालय में हैं, बिहार में केंद्रीय योजना या तो नहीं चली या मंद गति से चली. राधामोहन सिंह जब ये भाषण दे रहे थे उस समय मंच पर उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद थे. सिंह ने अपने भाषण में कहा कई परियोजनाओं में देखा गया कि 14-17 के बीच योजना का पैसा खर्च नहीं होता था. उन्होंने कहा कि इस दौरान बिहार का कोई कृषि मंत्री बिहार का मेरे पास नहीं आया. जहां 2014 से 2015 नवंबर तक जनता दल यूनाइटेड के विधायक कृषि मंत्री थे वहीं महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद के रामविचार राय कृषि मंत्री इस साल जुलाई तक थे.
हालांकि सिंह ने माना कि नीतीश कुछ करना चाहते होंगे भी तो कर नहीं पाते थे. नीतीश कुछ करना चाहते भी होंगे तो उस समय बाधा थी. लेकिन इस सम्मेलन में सबसे रोचक था सिंह का इतिहास और कृषि विकास के दौर का उल्लेख. केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार भारत को मुगल ने सबसे पहले गुलाम बनाया था. उसके बाद ब्रिटिश लोगों ने गुलाम रखा और आजादी के बाद नेहरू और बाद में इंदिरा, राजीव गांधी के समय किसानो के लिए कुछ नहीं किया.
सिंह के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जनता दल यूनाइटेड के महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि नीतीश जी भाजपा के साथ रहे या बिना भाजपा के सरकार चलाई हो उनकी कार्यप्रणाली पर उनके कट्टर विरोधी भी मानते हैं कि कोई असर नहीं पड़ता. हालांकि त्यागी ने माना कि राजद की तुलना में भाजपा के साथ सरकार चलाने में हम ज़्यादा सहज महसूस करते हैं. वही सिंह के बयान पर राजद के नेताओं का कहना है कि ये राधामोहन सिंह वही मंत्री हैं जिन्होंने संसद में किसानों की आत्महत्या के लिए प्रेम प्रसंग को जिम्मेदार माना था.