चालबाजियों में माहिर चीन ने सेंट्रल, सिक्किम और पूर्वी सेक्टरों में चुपचाप बड़े पैमाने पर सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड कर लिया है। साथ ही सरफेस टू एयर मिसाइल साइट्स को मजबूत किया है, यूएवी की संख्या बढ़ा दी है तो तिब्बत में एयरबेसों का विस्तार किया है। चीन यह सब उस समय करता रहा जब दुनिया का ध्यान लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर लद्दाख में था, जहां दोनों देशों के बीच महीनों से टकराव चरम पर है। इस मामले से जुड़े लोगों ने यह जानकारी दी है।
हिन्दुस्तान टाइम्स पहले ही बता चुका है कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में पीएलए की ताकत बढ़ा दी है, जिससे टकराव वाले स्थानों पर पूर्व की यथास्थिति लौटने की संभावना कम हो रही है। भारतीय सैन्य कमांडर्स हिमाचल प्रदेश के काउरिक पास से लेकर अरुणाचल प्रदेश में टेल I और II तक पूरी एलएसी पर सैनिक जमावड़ा बढ़ने को लेकर चिंतित हैं।
सैन्य कमांडर्स और राष्ट्रीय सुरक्षा का खांका खीचने वालों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि पिछले एक महीने में उन्होंने नोटिस किया है कि चीनी सेना काउरिक पास के उस ओर चुरुप गांव में सड़क निर्माण में जुटी है। उत्तराखंड के बाराहोती मैदानों के उत्तर में स्थित तंजुम ला में सैनिकों के लिए नए कंटेनर वाले घर स्थापित किए जा रहे हैं। यह एलएसी से महज 4 किलोमीटर दूर है।
डेमचोक एलएसी से 82 किलोमीटर दूर शिकूआन्हे और गार गुंसा एयरपोर्ट सैनिकों और और युद्धक सामग्रियों को लाने ले जाने का बड़ा केंद्र है। भारतीय सेना के विशेषज्ञों के मुताबिक, शिकूआन्हे ऐसी जगह पर स्थित है जहां से डेमचोक से बाराहाती प्लेन्स तक लॉजिस्टिक्स की सप्लाई कर सकता है।
पूर्वी सेक्टर में भी स्थिति अलग नहीं है, जहां 1962 युद्ध के पुराने पीएलए कैंप में इलेक्ट्रॉनिक वायरफेयर यूनिट की तैनाती की जा रही है। यह अरुणचाल प्रदेश सीमा से 60 किलोमीटर दूर है। मिलिट्री प्लानर्स के मुताबिक, यह यूनिट एक स्ट्रैटिजिक सपोर्ट फोर्स है, जिसमें चार काउंटर स्पेस जैमर्स हैं, संभवत: इन्हें भारतीय GSAT कम्युनिकेशन और कॉमर्शल सैटेलाइट्स की ओर रखा गया है।
भारत ने यह भी पाया है कि येबी में दोबारा सैनिकों की तैनाती की जा रही है और बुम ला में पीएलए ने सर्विलांस बढ़ा दी है। मिलिट्री प्लानर्स ने बताया कि पीएलए ने 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर इंटेलिजेंस और सर्विलांस एक्टिविटी बढ़ा दी है। सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और पूर्वी लद्दाख में गलवान सेक्टर पर अधिक फोकस है। सर्विलांस में इजाफे का सबूत छांगमू में कॉम्युनिकेशन टावर्स का निर्माण है, जो सिक्किम में सेबुला एलएसी से 27 किलोमीटर दूर है। भारत (सिक्किम)-भूटान-चाइना के त्रिसंगम पर 2017 में 73 दिनों तक तनातनी रही थी।
मिलिट्री कमांडर्स के मुताबिक, चीन ने पीछे के इलाकों में भी तैयारी तेज कर दी है। पश्चिमी सेक्टर एलएसी से 475 किलोमीटर दूर काशगर एयरबेस पर सरफेस टू एयर मिसाइल साइट पर नए मिसाइल ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉंचर्स दिखे हैं। काशगर और होटन बेस से अक्साई चिन में पट्रोलिंग की जा रही है। दोनों ही मिलिट्री बेस पर हेवी ट्रांसपोर्ट और विमान दिख रहे हैं।
Chief Minister Yogi Adityanath (in file pic) expresses grief over the Pratapgarh road accident. He has directed senior officials to reach the spot and provide all possible help to victims: CM's Office
Fourteen persons including six children died in the incident. https://t.co/3CR5vxoh2q pic.twitter.com/FmbYrcQa7F
— ANI UP (@ANINewsUP) November 20, 2020