बेंगलुरु : ई-कॉमर्स कंपनियों पर अक्सर फर्जी डिस्काउंट देने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, 1 जनवरी से पैकेज्ड प्रॉडक्ट्स पर एमआरपी और एक्सपायरी डीटेल्स दिखाने के नियमों के लागू होने के बाद इस पर रोक लग सकती है। कन्ज्यूमर अफेयर्स डिपार्टमेंट के लीगल मेट्रोलॉजी के हेड बी एन दीक्षित ने कहा कि ईकॉमर्स कंपनियों को अब एमआरपी और यूज-बाय डेट जैसी डीटेल्स अपनी वेबसाइट्स पर देने होंगे। दीक्षित ने कहा, ‘इससे कंपनियों के एमआरपी को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने और इस पर डिस्काउंट देने या एक्सपायरी तारीख के करीब प्रॉडक्ट्स बेचने पर रोक लग सकती है।’ कुछ इंडस्ट्री मेंबर्स के मुताबिक, ईकॉमर्स कंपनियां प्रॉडक्ट डिस्प्ले के साथ वेबसाइट्स पर ये डीटेल्स भी डाल सकती हैं।
जून 2017 में मिनिस्ट्री ऑफ कन्ज्यूमर अफेयर्स ने लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) रूल्स, 2011 में संशोधन किया है। इनमें कहा गया है, ‘ईकॉमर्स इकाई को अनिवार्य खुलासे करने होंगे। इन्हें डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक नेटवर्क पर प्रदर्शित करना होगा।’ ईकॉमर्स कंपनियों का कहना है कि वे नए रूल्स का पालन करने के लिए सेलर्स के साथ काम कर रही हैं। ऐमजॉन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने सेलर्स को लीगल मेट्रोलॉजी रेगुलेशंस में बदलाव के बारे में सूचित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। हम सेलर्स के साथ काम कर रहे हैं ताकि लीगल मेट्रोलॉजी रेगुलेशंस में हुए बदलावों का पालन सुनिश्चित हो सके।’
स्नैपडील ने गुजरे हफ्ते अपने सेलर्स को सतर्क किया है कि अगर वे नई गाइडलाइंस का पालन नहीं कर पाते हैं तो उन्हें लॉजिस्टिक्स पार्टनर्स का इस्तेमाल करने की इजाजत से वंचित किया जा सकता है। फ्लिपकार्ट के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम अपने सेलर्स को संशोधनों पर शिक्षित कर रहे हैं और उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं ताकि वे नए रेग्युलेशंस का पालन कर सकें।’