ब्रिटेन में रह रहे एक प्रवासी भारतीय (NRI) युवक को दिल्ली की युवती के शादी के प्रस्ताव को स्वीकार करना महंगा पड़ा। वह युवती से मिलने दिल्ली आया। मगर युवती ने खाने का बिल भरने के विवाद में उसके खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया। इस मुकदमे के चक्कर में युवक को डेढ़ साल तक ब्रिटेन से दिल्ली के कई चक्कर लगाने पड़े। हालांकि, मामले में मोड़ तब आया, जब युवती ने कोर्ट में कहा कि असल में होटल में खाने का बिल भरने को लेकर विवाद हुआ था और उसने गुस्से में दुष्कर्म का केस दर्ज करा दिया।
पीड़िता और उसकी मां के बदले बयानों से आरोपी बरी: रोहिणी स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश उमेद सिंह ग्रेवाल की अदालत ने युवती की कहानी सुनने के बाद आरोपी एनआरआई युवक को दुष्कर्म के आरोप से बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दुष्कर्म एक ऐसा अपराध है जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। परन्तु यह भी सही है कि इस कानून का दुरुपयोग सामने आ रहा है। अदालत ने इस मामले में पीड़िता व उसकी मां के बदले बयानों को आरोपी को बरी करने का आधार बताया है।
वेबसाइट के जरिए पहचान हुई: शिकायतकर्ता युवती और एनआरआई युवक की पहचान एक ऑनलाइन मैरिज वेबसाइट पर हुई थी। युवती का प्रोफाइल देखने के बाद युवक ने शादी का प्रस्ताव दिया था। इसी के मद्देनजर युवक दिसंबर 2017 को युवती से मिलने दिल्ली आया।
होटल में दुष्कर्म का आरोप: युवती ने मार्च 2018 में एनआरआई युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया। युवती का कहना था कि जब वह युवक से मिलने गई तो होटल रूम में उसने चाय मंगाई। चाय पीने के बाद वह बेहोश हो गई। बेहोशी की हालत में युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
अदालत की टिप्पणी
पहले दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगाना और फिर उसे अपने गुस्से का नतीजा बताने की प्रवृत्ति बढ़ गई है। शिकायतकर्ताओं के इस रवैये से न केवल अदालती समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि आरोपी को भी कई बार बगैर किसी कारण कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है।