नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिहाज से उनके घरेलू और विदेशी शाखा नेटवर्क को तर्कसंगत बनाने को कहा है. इस कवायद के तहत बैंकों को उनकी घाटे में चल रही शाखाओं को बंद करने की सलाह दी गई है. आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बैंकों को सलाह दी गई है कि पूंजी बचत कवायद के हिस्से के रूप वह घाटे में चल रही अपनी घरेलू और अतंरराष्ट्रीय शाखाओं को बंद करने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि घाटे में चल रही शाखाओं को चलाते रहने का कोई फायदा नहीं है, इसका बैंकों के बहीखातों पर असर पड़ता है. इसलिये बैंकों के केवल बड़ी बचत पर ही नहीं बल्कि छोटी बचत पर भी ध्यान देना चाहिये.
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) सहित कई बैंक पहले ही इस दिशा में कदम उठा चुके हैं. इसके अतिरिक्त, इंडियन ओवरसीज बैंक ने संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग और प्रशासनिक लागतों में कमी के उद्देश्य से 10 क्षेत्रीय कार्यालयों को बंद किया है. विदेशी शाखाओं के संबंध में मंत्रालय ने बैंकों से एकीकरण पर चर्चा करने और अलाभकारी परिचालनों को बंद करने पर अंतिम फैसला लेने को कहा है. मंत्रालय का मानना है कि एक ही देश में कई बैंकों की कोई आवश्यकता नहीं है. पांच-छह बैंकों को मिलकर एक अनुषंगी बनाने की संभावनायें तलाशनी चाहिये जो कि पूंजी बचत और दूसरे उपायों पर गौर करे.
अनुषंगी प्रारूप के अतिरिक्त, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शाखाओं को बंद करने या अनुषंगियों को बेचने के साथ ही उन बाजारों पर ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं जो कि उन्हें अधिक से अधिक प्रतिफल दे सकें. कारोबार को तर्कसंगत बनाने की रणनीति के तहत ही पीएनबी अपनी ब्रिटेन की अनुषंगी पीएनबी इंटरनेशनल में हिस्सेदारी बेचने की संभावनायें तलाश रही है. बैंक ऑफ बड़ौदा और स्टेट बैंक भी सुदृढ़ीकरण के मुद्दे पर गौर कर रहे हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा की 24 देशों में 107 शाखायें और कार्यालय हैं. देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक की 36 देशों में 195 शाखायें अथवा कार्यालय हैं.