सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आज संसद में राज्यसभा सांसद के तौर पर शपथ ले ली। विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। हालांकि, इसके बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन से वॉक आउट किया। पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पत्नी के साथ राज्यसभा सासंद सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए संसद भवन पहुंचे थे। शपथ लेने से पहले रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर नोमिनेशन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मधु पूर्णिमा किश्वर ने याचिका लगाकर चुनौती दी थी। मधु किश्वर ने बिना किसी कानूनी प्रतिनिधि के इस बिना पर यह याचिका दायर कि है कि संविधान का मूल आधार ‘ज्यूडिशयरी की स्वतंत्रता’ है और इसे लोकतंत्र का स्तंभ माना गया है।
Delhi: Former Chief Justice of India Ranjan Gogoi takes oath as Rajya Sabha MP. President Ram Nath Kovind nominated him to the Rajya Sabha. pic.twitter.com/pnQ2uTWVfH
— ANI (@ANI) March 19, 2020
दरअसल, उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने सदन का वॉक आउट भी किया। गौरतलब है कि पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को हाल ही में राष्ट्रपति ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनित किया था ।
रंजन गोगोई के राज्यसभा सदस्य के तौर पर नोमिनेशन के खिलाफ याचिका में कहा गया है कि देश के नागरिकों का विश्वास ज्यूडिशियरी की मजबूती है। ऐसे में कोई भी ऐसा कार्य जिससे ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता पर विपरीत असर पड़ता हो, जैसा कि मौजूदा हाल में है जब पूर्व चीफ जस्टिस को राज्यसभा के लिए नॉमिनेट किया गया है, यह ज्यूडिशियरी की स्वतंत्रता पर आघात है।
उधर, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राज्यसभा के लिए नामित किए जाने के बाद जहां विपक्ष हमलावर है। इस बीच, रंजन गोगोई ने कहा था ‘पहले मुझे शपथ ले लेने दीजिए फिर मैं मीडिया से विस्तार में बात करूंगा कि मैंने ये क्यों स्वीकार किया और मैं राज्यसभा क्यों जा रहा हूं।’
रंजन गोगोई को नामित किए जाने के बाद कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, कपिल सिब्बल और एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने सवाल खड़े किए तो पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने उम्मीद जताई थी कि गोगोई इस प्रस्ताव को ठुकरा देंगे। हालांकि, रंजन गोगोई मीडिया से बातचीत में पहले ही कह चुके हैं कि राष्ट्रपति के प्रस्ताव को उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
यहां इस बात का जिक्र करना जरूरी है कि रंजन गोगोई 12 जनवरी 2018 को सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य सीनियर जजों के सात संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के तौर-तरीकों को लेकर सार्वजनिक तौर पर सवाल खड़े करके चर्चा में आए थे। इसके बाद वह चीफ जस्टिस बने और राम मंदिर से लेकर सबरीमाला सहित तमाम मामलों में ऐतिहासिक फैसले दिए।
आईडिया टीवी न्यूज़:- “सवांद’ पसंद आया तो—— कमेंट्स बॉक्स में अपने सुझाव व् कमेंट्स जुरूर करे और शेयर करें
Idea TV News:- से जुड़े ताजा अपडेट के लिए हमें हमें यूट्यूब,फेसबुक,इंस्टाग्राम और ट्विटर पर फॉलो करें