नई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी के बीच गुरुवार को जी-20 देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए चर्चा की। इस समिट में फैसला लिया गया कि कोरोना संकट से लड़ने के लिए जी-20 देश वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5 लाख करोड़ डॉलर का निवेश करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी इस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में शामिल हुए।
PM @narendramodi joined other G20 Leaders at the #G20VirtualSummit to advance a coordinated global response to the COVID-19 pandemic, and it’s human & economic implications#G20VirtualSummit pic.twitter.com/LQgqG95u32
— Raveesh Kumar (@MEAIndia) March 26, 2020
जी-20 वर्चुअल क्रॉन्फ्रेंस का सुझाव मोदी ने ही दिया था
जी-20 वर्चुअल क्रॉन्फ्रेंस का सुझाव मोदी ने ही दिया था, जिसे मौजूदा मुखिया सऊदी अरब के किंग मोहम्मद बिन सलमान ने स्वीकार कर लिया था। सऊदी अरब ने ही समिट की अध्यक्षता की। बुधवार को मोदी ने ट्वीट किया था कि कोरोनावायरस से निटपने में जी-20 की भूमिका अहम होगी।
बैठक में कोरोना महामारी से पैदा हो रहे हालात और आर्थिक संकट पर चर्चा हुई। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और वर्ल्ड बैंक के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। पिछले साल के आखिर में चीन के वुहान से ही कोरोना संक्रमण की शुरूआत हुई थी। राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस बैठक में कई अहम जानकारियां साझा कीं।
The #G20VirtualSummit chaired by the Custodian of the Two Holy Mosques convened to establish a collective effort to face the challenges posed by #COVIDー19 , with a message of solidarity announced from Riyadh to the whole world: we must work together to prevail over this pandemic pic.twitter.com/olJ2OHf8gv
— فيصل بن فرحان (@FaisalbinFarhan) March 26, 2020
मोदी ने फोन पर की थी सऊदी किंग से बात
मोदी ने मंगलवार को सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से बात की थी। इस दौरान उन्होंने समूह-20 देशों की बैठक बुलाने का सुझाव दिया था। मोदी ने सऊदी प्रिंस को सार्क देशों के बीच हुई बातचीत के बारे में भी बताया था। इसके पहले मोदी ने इस विषय पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरीसन से भी बात की थी। मंगलवार को देर शाम रियाद स्थित जी-20 ऑफिस की तरफ से बैठक की सूचना जारी कर दी गई।
बैठक में हुए शामिल
इस बैठक में संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक, डब्ल्यूएचओ, विश्व व्यापार संगठन, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन जैसे शीर्ष संगठन भी शामिल हुए। इसके अलावा आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन), अफ्रीकी संघ, खाड़ी सहयोग परिषद और अफ्रीका के विकास के लिये नई भागीदारी (एनईपीएडी) जैसे क्षेत्रीय संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए। जी-20 में भारत के अलावा, अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका शामिल हैं।
$5 trillion to be injected into the global economy by G20 countries to combat #COVID19 pandemic. pic.twitter.com/ghQ0VS6zkM
— ANI (@ANI) March 26, 2020
2022 में जी-20 देशों की अगुवाई करेगा भारत
2022 में जी-20 देशों की अगुआई करने की जिम्मेदारी भारत के पास आ जाएगी। ऐसे में अभी कोरोनावायरस की चुनौतियों को लेकर जो फैसला किया जाएगा, उन्हें आगे लागू करने में भारत को भी अहम जिम्मेदारी निभानी होगी। जी-20 में दुनिया के सबसे प्रभावशाली 20 देश शामिल हैं। इसका गठन 2007-08 के वैश्विक मंदी के बाद किया था। उसके पहले तक दुनिया के सबसे ताकतवर सात देशों का एक संगठन समूह-7 काम करता था।
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