हथिनी की मौत: मेनका गांधी ने पूछा-राहुल ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?

इस घटना को लेकर मेनका गांधी ने मल्लापुरम वन सचिव को हटाए जाने की भी मांग की है. इसके साथही उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से कार्रवाई न करने को लेकर सवाल भी खड़ा किया है.

नई दिल्ली: केरल में गर्भवती हथिनी के साथ क्रूरता पर देश में गुस्सा है लेकिन अब इस पर गांधी परिवार में सियासत शुरू हो गई है. बीजेपी सांसद मेनका गांधी ने अपने भतीजे और केरल से सांसद राहुल गांधी पर सवाल उठाए हैं. ये शायद पहली बार होगा कि बीजेपी से सांसद मेनका गांधी ने खुले आम राहुल गांधी का नाम लेकर हमला बोला हो.

मेनका ने पूछा- राहुल ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया

मेनका ने कहा कि राहुल ने खुद वो जगह (वायनाड) चुनी थी और आराम से जीत कर आए. अब जब खुद चुना है तो बजाए कि वो पूरे देश को ठीक करें , वो अपने क्षेत्र को ठीक पहले करें. राहुल गांधी उसी इलाके से आते हैं, उन्होंने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया. राहुल गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं और जिस मल्लापुरम जिले में ये घटना घटी उसके तीन विधानसभा क्षेत्र वायनाड लोकसभा में हैं.

मेनका गांधी ने घटना को लेकर किया ट्वीट
हथिनी की मौत को लेकर मेनका गांधी ने ट्वीट कर कहा, ”ये हत्या है, मल्लापुरम ऐसी घटनाओं के लिए कुख्यात है, यह देश का सबसे हिंसक राज्य है. उदाहरण के लिए यहां लोग सड़कों पर जहर फेंक देते हैं जिससे 300 से 400 पक्षी और कुत्ते एक साथ मर जाएं.”

कुछ लोगों ने हथिनी को खिलाए पटाखों से भरा अनानास 

बता दें कि केरल में एक हथिनी के साथ हैवानियत की एक अजीबो गरीब घटना सामने आई जब कुछ लोगों ने उसे पटाखों से भरा अनानास खिला दिया. पटाखे उसके मुंह में फट गए और गर्भवती मादा हाथी की मौत हो गई. शिकारी इस तरीके को खास तौर से जंगली सूअरों को पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह मामला उस वक्त सामने आया, जब उत्तरी केरल के मलप्पुरम में एक फॉरेस्ट अफसर ने इस घटना को अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया.

फॉरेस्ट अफसर के शेयर करते ही ये पास्ट वायरल हो गई और इसे करीब 1200 लोगों ने शेयर किया.

रेस्क्यू टीम में शामिल मोहन कृष्णन ने फेसबुक पर लिखा, मादा हाथी खाने की तलाश में जंगल से पास के गांव में पहुंच गई थी. यहां वह इधर उधर घूम रही थी. इसके बाद उसे कुछ लोगों ने पटाखे भरे अनानास खिला दिए.

मोहन कृष्णन आगे लिखा, पटाखे इतने असरदार थे, कि उसका मुंह और जीभ बुरी तरह से जख्मी हो गए. वह खाने की तलाश में पूरे गांव में भटकती रही. दर्द के चलते वह कुछ खा भी नहीं सकी. मादा हाथी ने घायल होने के बावजूद किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया, किसी पर हमला भी नहीं किया. वह बहुत सीधी और शांत थी.

कृष्णन ने आगे लिखा, मादा हाथी खाने की खोज में वेल्लियार नदी तक पहुंच गई क्योंकि उसके पेट में बच्चा था. वो पानी में खड़ी हो गई. पानी में मुंह डालने से उसे थोड़ा आराम भी मिला. जब हाथी की दयनीय स्थिति फॉरेस्ट अफसरों को पता चली, तो वे दो कुमकी हाथियों, सुरेंद्रन और नीलाकंतन को घायल हाथी को वलियार नदी से बाहर निकालने के लिए ले आए.बड़ी मुश्किल के बाद पानी से बाहर निकाला गया, लेकिन उसकी मौत हो गई.

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