कुंडली में पितृ दोष होने के कारण इंसान का जीवन कष्टों से भरा जाता है और वो सदा दुखी ही रहता है। कुंडली में पितृ दोष आते ही जिंदगी में एकदम से परिवर्तन आ जाता है और इसका असर सबसे पहले मुनष्य की सेहत पर पड़ता है। हमारे ज्योषित शास्त्र में पितृ दोष का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि, कुंडली में ये दोष होने पर इंसान के जीवन में विपदाएँ आना शुरु हो जाती हैं ।
क्या होते हैं पितृ दोष के लक्षण
शास्त्रों के अनुसार अगर हमारे पूर्वजों की आत्मा को शांति ना मिले और उनकी कोई इच्छा अधूरी रहे जाए, तो हमें पितृ दोष लग जाता है। इसके अलावा अगर हमारे किसी पूर्वज की मृत्यु के बाद उनका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया जाए, तो भी परिवार की कई पीढ़ियों को पितृ दोष झेलना पड़ता है।
कैसे चलता है पितृ दोष के लक्षण का
सूर्य और मंगल गृह को पितृ दोष से जोड़कर देखा जाता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दोनों ग्रह पाप भाव में हों, तो उस व्यक्ति को पितृ दोष लग जाता है और उसका जीवन परेशानियों से घिर जाता है। दरअसल ज्योतिष विद्या में सूर्य को पिता और मंगल को रक्त का कारक माना गया है और इन दोनों ग्रहों का पाप भाव में होने का मतलब पितृ दोष होता हैं। वहीं कुंडली में पितृ दोष आते ही जीवन में कई तरह के तकलीफें आना शुरु हो जाती हैं। इसलिए इस दोष को सही नहीं माना गया है और ये दोष होने पर इसका हल जल्द से जल्द किया जाता है।
कुंडली में पितृ दोष के लक्षण
जिन लोगों के जीवन में नीचे बताई गई परेशानियां हैं, उन लोगों की कुंडली में पितृ दोष के लक्षण हो सकते है। नीचे बताई गई परेशानियां पितृ दोष होने का लक्षण हैं और इन तकलीफों का जीवन में होने का मतलब है कि आपके पितृ शांत नहीं हैं और आप पर पितृ दोष चल रहा है।
पितृ दोष के लक्षण
-पितृ दोष होने पर दंपत्ति को संतान नहीं होती है या फिर उनकी संतान होने पर वो विकलांग होती है। दरअसल ज्योषित शास्त्र के अनुसार अगर हमारे पूर्वजों की आत्मों को शांति ना मिले तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ता है और आने वाली पीढ़ियों का जीवन कष्टों से भर जाता है।
– जीवन में अगर लाख मेहनत करने के बाद भी बरकत ना हो, तो ये भी पितृ दोष का लक्षण माना जाता है। इसके अलावा धन में बार-बार हानि होना और घर की संपत्ति का बिक जाना भी पितृ दोष का मुख्य लक्षण होता है।
– कुंडली में पितृ दोष होने पर घर के माहौल पर भी बुरा असर पड़ता है और घर में हमेशा अशांति बनी रहती है।
– पितृ दोष होने पर कई बार घर के युवक या युवती का विवाह होने में भी दिक्कत आती है या फिर उनके विवाह होने में विलंब भी होने लग जाता है।
-घर के सदस्यों का बार-बार बीमार पड़ना या फिर घर के मुखिया का हमेशा बीमार रहना भी पितृ दोष का लक्षण है। इसलिए अगर आपके घर के सदस्य हमेशा बीमार रहते हैं, तो आप एक बार अपनी कुंडली पंडित को जरुर दिखा लें।
-शास्त्रों के अनुसार जिन लोगों का अंतिम संस्कार उनके पुत्र के हाथों नहीं होता है, उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है और ऐसा होने पर आगामी पीढ़ी को पुत्र प्राप्ति आसानी से नहीं होती है। इसलिए अगर आपके परिवार में पुत्र का जन्म लंबे समय से नहीं हुआ है तो आप समझ लें कि आपके घर के ऊपर पितृ दोष चल रहा है।
– किसी मांगलिक कार्य के होने में विघ्न होना या फिर किसी भी मांगलिक कार्य का समय पर ना होना भी पितृ दोष का लक्षण होता है।
पितृ दोष के उपाय
कुंडली में पितृ दोष होने पर आप नीचे बताए गए उपायों को करें। इन उपायों की मदद से इस दोष से मुक्ति पाई जा सकती है।
दान करें
दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कुंडली से कई तरह के दोष खत्म हो जाते हैं। इसलिए जिन लोगों की कुंडली में भी पितृ दोष हैं, वो लोग चीजों का दान किया करें। ऐसा माना जाता है कि चतुर्दशी, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन अगर दान किया जाए और ये दान करते समय अपने पूर्वजों का नाम लिया जाए। तो पितृ दोष खत्म हो जाता है।
श्राद्ध करें
हर साल श्राद्ध आते हैं और अपने मरे हुए पूर्वजों का श्राद्ध करने से उन्हें शांति मिलता है और पितृ दोष भी खत्म हो जाता है। इसलिए आप अपने पूर्वजों के नाम का श्राद्ध जरूर किया करें और श्राद्ध के दौरान काली चीजों का दान भी किया करें।
भगवत गीता का पाठ करें
भगवत गीता का पाठ करने से भी पितृ दोष को खत्म किया जा सकता है। जिन लोगों को भी ये दोष है वो लोग हफ्ते में तीन बार अपने घर में भगवत गीता का पाठ जरूर करें। इसके अलावा रोज भगवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करना भी लाभ दायक होता। पंडितों के अनुसार रोजाना भगवत गीता के 11वें अध्याय का पाठ करने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।
करवाएं हवन
कुंडली में पितृ दोष होने पर आप अपने पूर्वजों की शांति के लिए हवन करवाएं। हवन करवाने से पूर्वज शांत हो जाते हैं और ये दोष खत्म हो जाता है। पूर्वजों की शांति के लिए करवाए जाने वाला ये हवन, कई दिनों तक चलता है और जब ये हवन खत्म हो जाता है , तो पंडितों को भोजन भी करवाया जाता है।
पीपल की पूजा
कुंडली में पितृ दोष होने पर आप ये उपाय करें और पितृ दोष के उपाय के तहत आप पीपल के पेड़ की पूजा करें। इस पेड़ की पूजा करने के लिए आपको मीठे जल और एक तेल के दीपक की जरूरत पड़ेगी। आप सबसे पहले इस पेड़ को मीठा जल चढ़ाएं, फिर इस पेड़ की परिक्रमा करें और परिक्रमा खत्म करने के बाद इस पेड़ के सामने एक तेल का दीपक जला दें। ये उपाय करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है। हालांकि आप याद रखें कि आप ये पूजा दोपहर के समय ही करें। क्योंकि पितृों से जुड़ी पूजा करने के लिए दोपहर का समय ही सबसे उत्तम होता है।
हनुमान का पाठ करें
हनुमान जी को संकट मोचक माना जाता हैं और हनुमान जी अपने भक्तों के सभी दुखों को हर लेते हैं। इसलिए आप पितृ दोष होने पर हनुमान जी का पाठ करें। हनुमान जी का पाठ करने के अलावा आप शिव जी का रुद्राभिषेक और मां काली का पाठ भी नियमित रुप से किया करें।
पक्षियों को खाना खिलाएं
पितृ दोष को खत्म करने से जुड़े इस उपाय के तहत आप पक्षियों को और कुत्तों को खाना खिलाएं। ऐसा कहा जाता है कि पक्षियों को खाना खिलाने से पूर्वजों खुश हो जाते हैं और वो आपके जीवन में किसी भी तरह की परेशानी पैदा नहीं करते हैं। इसी तरह से कुत्ते को भी रोटी खिलाने से पितृ दोष से बचा जा सकता है।
ब्राह्मण को भोजन करवाएं
पितृ दोष से जुड़े इस उपाय के तहत आप ब्राह्मण को भोजन करवाएं। ब्राह्मण को भोजन करवाने से और ब्राह्मण को दान करना से ये दोष दूर हो जाता है। ब्राह्मण के अलावा कन्याओं को भी भोजन करवाने से लाभ मिलता है और इस दोष से छुटकारा पाया जा सकता है। इसलिए आप श्राद्ध के दौरान और अपने पूर्वजों के जन्म दिवस पर ब्राह्मण को या फिर कन्याओं को भोजन जरूर करवाएं।
सूर्य को जल चढ़ाएं
सूर्य भगवान को रोज सुबह अर्घ्य देने से भी इस दोष के प्रकोप से बचा जा सकता है। इसलिए आप पितृ दोष होने पर रोज सुबह स्नान करने के बाद एक तांबे के लोटे में जल और फूल डालकर, इस पानी को सूर्य भगवान को चढ़ाएं।
करें गायत्री मंत्र का जाप
दिन में तीन बार गायत्री मंत्र का जाप करना भी लाभदायक होता है और इस मंत्र का जाप करने से इंसान की रक्षा गायत्री मां करती हैं। इसलिए कुंडली में पितृ दोष होने पर आप इस मंत्र का रोजाना जाप किया करें।
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