बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा कि 28 जून तक जो हमारे पास आंकड़े आए है, उसके मुताबिक 720 बच्चों को एडमिट कराया गया था जिसमें 586 बच्चों को बचा लिया गया जबकि 154 बच्चों की मौत हो गई.
नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की मौत के मामले में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में चर्चा के दौरान जवाब दिया है. उन्होंने कहा है कि पटना के एम्स के डॉक्टरों और कई विशेषज्ञों के साथ इसको लेकर 2015 में बैठक हुई थी जिसमें एक कारणों पर सबकी अलग-अलग राय थी. यहां तक कि एक रिपोर्ट अमेरिका भी भेजी गई थी लेकिन वहां भी सबकी राय अलग-अलग थी. नीतीश कुमार ने कहा कि जो भी वह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है सिर्फ संवेदनाओं ही काफी नही हैं. हमने इस पर कई बैठकें और विस्तार से चर्चा की है. नीतीश कुमार ने माना कि कई सरकारी अस्पतालों में पर्यप्त बेड तक नहीं है लेकिन इलाज और बचाव की पर्याप्त कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. वहीं बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विधानसभा में जानकारी देते हुए कहा कि 28 जून तक जो हमारे पास आंकड़े आए है, उसके मुताबिक 720 बच्चों को एडमिट कराया गया था जिसमें 586 बच्चों को बचा लिया गया जबकि 154 बच्चों की मौत हो गई. स्वास्थ्य मंत्री का दावा था कि मृत्यु दर 21 फीसदी कम हो गई है और 2011 से लेकर 2019 तक एईएस से मृत्यु दर कम हो गई है. वहीं विपक्ष ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के इस्तीफे की मांग को लेकर सदन से वाक आउट भी किया.
आपको बता दें कि इसी महीने मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से 154 बच्चों की मौत हो गई थी. यह खबर कुछ दिनों तक राष्ट्रीय मीडिया में छाई रही और बिहार सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक विपक्ष के निशाने पर थी. वहीं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा का राज्यसभा में जवाब देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों की मौत की घटनाओं पर भी अपनी चुप्पी तोड़ी. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह हम सभी के लिए ‘दुख और शर्म’ की बात है. बच्चों का बुखार से मरना देश की 70 साल की विफलताओं में से एक है और हम सभी को मिलकर इन विफलताओं से निबटने के समाधान खोजने होंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में वह राज्य सरकार के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए हैं.