नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। हृदय व मस्तिष्क की धमनियों में ब्लॉकेज से हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक होता है। यह सभी जानते हैं, लेकिन पैर सहित शरीर के दूसरे हिस्सों की धमनियों में ब्लॉकेज भी हृदय वाहिकाओं की बीमारी का कारण बन सकता है। खास तौर पर पैरों की धमनियों में ब्लॉकेज से भी हृदय की बीमारी का खतरा है। डॉक्टरों द्वारा तैयार रजिस्ट्री के आंकड़ों से यह बात सामने आई है।
एशिया पेसिफिक वैस्कुलर सोसाइटी द्वारा शुक्रवार से दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में उस रजिस्ट्री की रिपोर्ट को जारी किया जाएगा। सम्मेलन के आयोजन समिति के अध्यक्ष व अपोलो अस्पताल के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ कंसल्टेंट डॉ. एनएन खन्ना ने बताया कि पिछले साल सम्मेलन में एक व्यापक रजिस्ट्री बनाने पर सहमति बनी थी। इसके तहत रजिस्ट्री तैयार की गई। इसमें देश के सभी राज्यों के बड़े अस्पतालों से मरीजों के आंकड़े लिए गए और उनमें बीमारी के कारणों की पड़ताल की गई।
उनके मुताबिक, खराब जीवनशैली, व्यायाम नहीं करना, घूमपान, प्रदूषण, खाद्य वस्तुओं में पेस्टीसाइड का अधिक इस्तेमाल व मधुमेह हृदय की बीमारी का कारण तो बन ही रहे हैं, आंकड़ों में कई हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। 23 फीसद लोगों के पैरों की धमनी में ब्लॉकेज था। इसी तरह ब्रेन स्ट्रोक से पीड़ित करीब 40 फीसद मरीजों के गले की धमनी में ब्लॉकेज था। इससे मस्तिष्क में रक्त संचार प्रभावित हो रहा था।
हाथ के साथ पैर का ब्लड प्रेशर जांच भी जरूरी
डॉ. खन्ना ने कहा कि सामान्य तौर पर डॉक्टर सिर्फ एक हाथ में ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं। मरीज के हाथ व पैर का ब्लड प्रेशर भी लेना चाहिए। यदि हाथ व पैर के ब्लड प्रेशर का अनुपात 0.9 से कम हो तो इसका मतलब है कि पैर की वाहिकाओं में ब्लॉकेज है। ऐसी स्थिति में हृदय की बीमारी का खतरा 30 फीसद अधिक हो सकता है, जबकि महज पैर में ब्लड प्रेशर की जांच कर स्क्रीनिंग की जा सकती है।
ऐसे में पैरों को सुन्न पड़ जाना खतरनाक हो सकता है और ऐसा लगातार हो तो इसे नजरअंदाज न करें। सुन्नपन से गैगरीन जैसी जानलेवा बीमारी हो सकती है। अकसर एक ही जगह पर या एक ही स्थिति में काफी देर तक बैठे रहने पर अंग सुन्न हो जाते हैं या रात में एक ही अवस्था में सोए रह जाने से अचानक हाथ या पैर में सुन्नपन या अकड़न आ जाती है। सुन्नपन की स्थिति में किसी स्पर्श का एहसास नहीं होता, किसी काम को करना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी दर्द और कमजोरी भी महसूस होती है। आमतौर पर यह समस्या गंभीर नहीं होती और कुछ मिनटों के बाद खुद से या थोड़ी बहुत मालिश के बाद ठीक भी हो जाती है। पर इसका जल्दी-जल्दी होना या देर तक असर रहना किसी अन्य रोग का लक्षण भी हो सकता है।
यहां पर बता दें कि दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं, युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। कम उम्र के लोग कार्डियक अरेस्ट (अचानक धड़कन रुक जाना) की बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। इसको लेकर डॉक्टर कहते हैं कि दिल की बीमारियों से जुड़े जोखिम भरे कारकों को नजर अंदाज करना घातक साबित हो सकता है। इसलिए बीपी (ब्लड प्रेशर), मधुमेह हो तो उसे नियंत्रित रखें और नियमित दवा का इस्तेमाल करें।
हृदय रोगियों को कामकाज में काफी सावधानी रखने की जरूरत होती है। एक अध्ययन का कहना है कि ऐसे रोगियों को हर 20 मिनट पर ब्रेक लेना चाहिए। इससे उनका जीवनकाल लंबा हो सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, कंप्यूटर पर काम कर रहे या टीवी देख रहे हृदय रोगियों को हर 20 मिनट पर सात मिनट का ब्रेक लेना चाहिए। इस दौरान कुछ हल्की-फुल्की शारीरिक गतिविधियां मसलन टहलना चाहिए।
जरूरत पर सर्जरी का सहारा ले सकते हैं
यदि दवाएं और नियमित देखभाल हृदय रोग के लक्षणों को कम नहीं करती हैं, तो आप सर्जरी के विकल्प के बारे में अपने डॉक्टर से बात कर सकते हैं। अनेक प्रक्रियाएं जैसे हार्ट वॉल्व सर्जरी, इनफ्रेक्ट एक्सक्लूजन सर्जरी, हार्ट ट्रासप्लान्ट (हृदय प्रत्यारोपण) तथा बाईपास सर्जरी आदि संकीर्ण या अवरुद्ध धमनियों को फिर से खोलने या सीधे हृदय की चिकित्सा के लिए इस्तेमाल की जा सकती हैं।