विशेषज्ञों का वित्त मंत्री जेटली को सुझाव

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ सोमवार (11 दिसंबर) को बजट पूर्व चर्चा में अर्थशास्त्रियों ने सामाजिक सुरक्षा पेंशन को 200 रुपये मासिक से बढ़ाकर 500 रुपये प्रति माह करने सहित कई सुझाव दिए. अर्थशास्त्री जीन ड्रेजे ने बैठक के कहा, ‘‘यह (सामाजिक सुरक्षा पेंशन) राशि 200 रुपये मासिक है. इसे इतने निम्न स्तर पर रखने का कोई औचित्य नहीं है. इसे कम से कम इसे 500 रुपये किया जाना चाहिए. बल्कि यदि संभव हो तो मैं तो इसे बढ़ाकर 1,000 रुपये करने को कहूंगा.’’ इससे राजकोषीय दबाव बढ़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह तो मूंगफली के दाने जैसा है, यह कुछ भी नहीं है.’’ उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मातृत्व अधिकारों का पूरी तरह अनुपालन किया जाए. यह चार साल से लंबित है.

पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद विरमानी ने कहा कि सरकार को सीमा शुल्क और आयात-निर्यात शुल्क क्षेत्र में सुधार लेकर आना चाहिए क्योंकि इस क्षेत्र में पिछले 10 साल से कोई सुधार नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य रतिन रॉय के अनुसार राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के बरकरार रखे जाने की उम्मीद है.

सूत्रों ने बताया कि कुछ अर्थशास्त्रियों ने शेयरों पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर लगाने का भी सुझाव दिया है. जेटली के साथ इस बैठक में वित्त मंत्रालय के कई अधिकारी, वित्त सचिव हसमुख अधिया, मुख्य आर्थि सलाहकार अरविंद सुब्रहमणियन, व्यय सचिव ए. एन. झा और वित्त सेवाओं के सचिव राजीव कुमार भी शामिल थे.

इससे पहले उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने बीते 10 दिसंबर को कहा कि सरकार को बजट में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए क्योंकि खरीफ फसलों के उत्पादन में भारी गिरावट से चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि कम हो गयी है. उसने कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कृषि क्षेत्र के सकल मूल्यवर्धन की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के 4.1 प्रतिशत की तुलना में कम होकर 1.7 प्रतिशत पर आ गई है. आधारभूत कीमत के आधार पर वृद्धि इस दौरान 10 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत पर आ गयी.

इस दौरान खाद्यान्न उत्पादन में 2.8 प्रतिशत की गिरावट आयी और क्षेत्र की वृद्धि कम करने में इसका योगदान रहा. पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में खाद्यान्न उत्पादन में 10.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. एसोचैम के महासचिव डी.एस.रावत ने कहा, चूंकि कृषि क्षेत्र में सकल मूल्यवर्धन में पशुपालन, मत्स्यपालन और वानिकी का करीब आधा योगदान होता है, वित्त मंत्री वरुण जेटली को सिंचाई जैसी प्रमुख कृषि ढांचगत संरचना समेत इन क्षेत्रों पर भी ध्यान देना चाहिए.

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी आबादी का बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पाता है, उपभोग और निवेश आधारित वृद्धि का तब तक फायदा नहीं होगा जब तक कि पूरे कृषि क्षेत्र को संकट से बाहर नहीं निकाला जाए.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘भारतीय उद्योग जगत का बड़ा हिस्सा ग्रामीण मांग पर काफी निर्भर करता है. यह मांग तब तक कम रहेगी जब तक कि अल्पावधि या मध्यावधि में तत्काल इस बाबत कदम नहीं उठाया जाएगा.’’

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