आज ट्रेड यूनियन का भारत बंद है। केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ दस केंद्रीय मजदूर संघों ने बुधवार (8 जनवरी) को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इस हड़ताल में कांग्रेस के मजदूर संगठन-इंटक के अलावा वामदलों के मजदूर संगठन- एटक, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसईडब्ल्यूए, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी और सोशलिस्ट पृष्ठभूमि के- एचएमएस समेत अनेक मजदूर संघ शामिल होंगे। हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) हड़ताल में शामिल नहीं हो रहा है। संघों का दावा है भारत बंद में 25 करोड़ लोग शामिल होंगे। बताया जा रहा है कि इस हड़ताल को बैंकों का भी समर्थन हासिल है। ऐसे में बैंकिंग सेवाएं आज बुरी तरह से प्रभावित हो सकती हैं।
जानिए भारत बंद से जुड़ी हुई अहम बातें:
हड़ताल का समय?
देशव्यापी हड़ताल बुधवार (8 जनवरी) को सुबह छह बजे शुरू होगी।
भारत बंद में कौन कौन से ट्रेड यूनियन ले रहे भाग?
-कांग्रेस मजदूर संगठन- इंटक
-वामदलों का मजदूर संगठन- एटक
-सीटू
-एआईयूटीयूसी
-टीयूसीसी
-एसईडब्ल्यूए
-एआईसीसीटीयू
-एलपीएफ
-यूटीयूसी
-सोशलिस्ट
किन बैंक यूनियनों ने किया हड़ताल का समर्थन?
-भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए)
-अखिल भारतीय बैंक अधिकारी संघ (एआईबीओए)
-भारतीय बैंक कर्मचारी महासंघों
-बैंक कर्मचारी सेना महासंघ आदि
बैंक की कैसी सेवाएं होंगी प्रभावित:
बैंकों में राशि जमा करने, निकासी करने, चेक क्लियरिंग और विभिन्न वित्तीय साधनों को जारी करने का काम हड़ताल की वजह से प्रभावित हो सकता है। हालांकि, निजी क्षेत्र के बैंकों में सेवाओं पर कोई असर पड़ने की संभावना नहीं है।
भारत बंद क्यों हो रहा है?
ट्रेड यूनियनों का कहना है कि केंद्र सरकार की आर्थिक और जन विरोधी नीतियों के विरोध में हड़ताल का आयोजन किया गया है। इसके अलावा, वे लेबर लॉ का भी विरोध कर रहे हैं। साथ ही स्टूडेंट यूनिनय शिक्षण संस्थानों में फीस बढ़ाने का विरोध कर रहे हैं।
ट्रेड यूनियन ने क्या कहा:
दस केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने संयुक्त बयान में कहा, ‘आठ जनवरी को आगामी आम हड़ताल में हम कम से कम 25 करोड़ लोगों की भागीदारी की उम्मीद कर रहे हैं। उसके बाद हम कई और कदम उठाएंगे और सरकार से श्रमिक विरोधी, जनविरोधी, राष्ट्र विरोधी नीतियों को वापस लेने की मांग करेंगे।’
जानिए सरकार ने क्या कहा:
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को चेताया है कि यदि वे हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका नतीजा भुगतना पड़ेगा। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुए हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है। सरकारी आदेश में कहा गया है कि यदि कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो उसे उसके नतीजे भुगतने होंगे। वेतन काटने के अलावा उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। केंद्र सरकार के सभी विभागों को भेजे गए आदेश में कहा गया है कि, ‘इस तरह का कोई सांविधिक प्रावधान नहीं है जो कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने का अधिकार देता हो।’
सरकार की चेतावनी:
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को चेताया है कि यदि वे आठ जनवरी को हड़ताल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका ‘नतीजा’ भुगतना पड़ेगा। केंद्र सरकार की नीतियों मसलन श्रम सुधार, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश और निजीकरण के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने बुधवार को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। कार्मिक मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में कर्मचारियों को यह चेतावनी देते हुये हड़ताल से दूर रहने को कहा गया है।
कौन सा यूनियन हड़ताल में नहीं ले रहा हिस्सा
न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत बंद में भारतीय मजदूर संघ हिस्सा नहीं ले रहा है।
ओडिशा विश्वविद्यालय में परीक्षा स्थगित
ओडिशा के उत्कल यूनिवर्सिटी ने बुधवार को निर्धारत परीक्षाओं को देशव्यापी हड़ताल के मद्देनजर मंगलवार को स्थगित करने की घोषणा की। यह हड़ताल केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रमुख ट्रेड यूनियनों द्वारा बुलाई गई है। अधिसूचना में कहा गया, ‘आठ जनवरी को विभिन्न संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद और परीक्षार्थियों को होने वाली असुविधा को ध्यान में रखते हुए बुधवार को होने वाली सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है।’ इसमें कहा गया है कि उक्त परीक्षाओं की नई तारीख बाद में अधिसूचित की जाएगी।