जम्मू-कश्मीर का दो दिवसीय दौरा करने के बाद यूरोपीय संघ के सांसदों ने कश्मीर पर भारत सरकार के प्रयासों की सराहना की। 23 सांसदों के शिष्टमंडल ने बुधवार को कहा, ‘अनुच्छेद-370 हटाना भारत का आंतरिक मामला है। हमारी चिंता का विषय सिर्फ आतंकवाद है, इससे निपटने के लिए हमें भारत सरकार का समर्थन करना चाहिए।’
दौरे के आखिरी दिन शिष्टमंडल ने साझा पत्रकार वार्ता की। फ्रांस के हेनरी मेलोसे ने कहा, आतंकवादियों द्वारा पांच निर्दोष मजदूरों की हत्या दुर्भाग्यपूर्ण है। हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं। इससे लड़ाई में हम भारत के साथ हैं। यूरोपीय आर्थिक एवं सामाजिक समिति के पूर्व अध्यक्ष मेलोसे ने बताया कि राज्य के युवाओं से भी उनकी बातचीत हुई और विचारों का आदान-प्रदान हुआ। स्थानीय लोगों से बातचीत के सवाल पर ईयू के सांसदों ने कहा, ‘स्थानीय लोगों ने हमें बताया कि वे भारतीय नागरिक हैं और सभी भारतीय नागरिकों की तरह रहना चाहते हैं। वे देश के अन्य क्षेत्रों की तरह यहां भी विकास चाहते हैं।’
ब्रिटेन में लिबरल डेमोक्रेट पार्टी के न्यूटन डन ने कहा कि यह दौरा ‘आंखें खोलने वाला’ रहा। पोलैंड के सांसद रेजार्ड जारनेकी ने कहा कि कश्मीर के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने जो दिखाया वह पक्षपातपूर्ण था। हमने जो देखा है, अपने देश लौटकर बताएंगे।
फ्रांस के सांसद थियेरी मारियानी ने बताया कि यह दौरा कश्मीर में जमीनी हालात के बारे में प्रत्यक्ष जानकारी लेने के लिए था। आतंकी एक देश को बर्बाद कर सकते हैं। मैं अफगानिस्तान-सीरिया जा चुका हूं और बर्बादी देख चुका हूं।
यूरोपीय शिष्टमंडल के दौरे की विपक्ष के साथ सरकार की सहयोगी शिवसेना व जदयू ने आलोचना की है। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करने पर प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए। पार्टी ने सांसदों से मुलाकात करने वाले घाटी के तीन सदस्यों को नोटिस भेजा है।