पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बीच ट्विटर वार छिड़ गई है. कल नीतीश ने ट्वीट करते हुए लालू पर हमला किया था, ‘जान की चिंता, माल-मॉल की चिंता, सबसे बड़ी देशभक्ति है!’ इसके बाद लालू ट्विटर पर उनसे भिड़ गए और उन्होंने भी सिलसिलेवार ट्वीट कर नीतीश पर जवाबी हमले किए.
बुधवार देर रात तक चला यह सिलसिला गुरुवार सुबह फिर शुरू हो गया. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सुबह ट्वीट किया, ‘भ्रष्टाचार शिष्टाचार है. उसके खिलाफ कार्रवाई अनाचार है!!’.
उल्लेखनीय है कि कल नीतीश द्वारा किए गए एक ट्वीट पर लालू प्रसाद यादव ने एक के बाद एक कई ट्वीट कर पलटवार किए. राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने बिना नाम लिए ट्विटर के जरिए मु़ख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “क्या आप दिन-दहाड़े जनादेश का निर्मम ‘बलात्कार’ करने वाले ‘मैंडेट रेपिस्ट’ का मानसिक उपचार करने वाले किसी देशभक्त मनोचिकित्सक को जानते हैं?”.
गत 27 फरवरी को लालू के सुरक्षा कवर “जेड +” श्रेणी से घटाकर “जेड” श्रेणी किए जाने को लेकर कल नीतीश ने कहा था, ‘राज्य सरकार द्वारा जेड+ और एसएसजी की मिली हुई सुरक्षा के बावजूद केंद्र सरकार से एनएसजी और सीआरपीएक के सैंकड़ों सुरक्षा कर्मियों की उपलब्धता के जरिए लोगों पर रौब गांठने की मानसिकता और साहसी व्यक्तित्व का परिचायक है!’
लालू ने अपने सुरक्षा कवर “जेड+” श्रेणी से घटाकर “जेड” श्रेणी किए जाने को केंद्र सरकार की कथित ‘साजिश’ करार देते गत 26 नवंबर को कहा था कि उनके साथ अगर कोई घटना घटती है तो इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जिम्मेदार होंगे.
बिहार विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया था कि उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले जदयू और और भाजपा द्वारा रचा गया “षड्यंत्र” है और ऐसा उनके द्वारा राज्य में साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए किया गया.
केंद्र और राज्य में एक सरकार होने पर प्रदेश में विकास की गति में तेजी आने को लेकर भाजपा द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले “डबल इंजन” मुहावरे को दोहराते हुए तेजस्वी ने कहा, ‘हमें उस डबल इंजन की आवश्यकता नहीं है जो बिहार को पीछे ले जा रहा है’. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार पुलिस के वेबसाइट और भारत सरकार के सांख्यिकीय आंकड़े बिहार में सभी प्रकार के अपराध में वृद्धि की ओर इशारा करते हैं और हम इस मुद्दे को सदन में उठाना चाहते हैं लेकिन सत्ताधारी पक्ष इससे बच रहा है क्योंकि उनके पास कोई जवाब नहीं है.