कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी मध्यस्थता की राग अलापते रहने वाले पाकिस्तान को अफगानिस्तान से अपने मुद्दे सुलझाने में अमेरिकी दखल मंजूर नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्तान से जो भी मसले हैं, उन्हें द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जा सकता है।
इस्लामाबाद: कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी मध्यस्थता की राग अलापते रहने वाले पाकिस्तान को अफगानिस्तान से अपने मुद्दे सुलझाने में अमेरिकी दखल मंजूर नहीं है। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि अफगानिस्तान से जो भी मसले हैं, उन्हें द्विपक्षीय तरीके से सुलझाया जा सकता है। इसमें अमेरिका को शामिल करने की जरूरत नहीं है। तालिबान और अमेरिका के बीच हुए समझौते में यह भी प्रावधान किया गया है कि अमेरिका, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस वार्ता के लिए जमीन तैयार करेगा कि दोनों देशों को एक-दूसरे से किसी तरह का सुरक्षा खतरा न हो।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने इस मुद्दे पर एक साक्षात्कार में कहा, “उन्हें (अफगानिस्तान को) चाहिए कि वे सीधे पाकिस्तान से बात करें। अमेरिका वापसी की योजना बना रहा है और हम हमेशा पड़ोसी बने रहेंगे। अगर मुझे अफगानिस्तान से कोई मसला होगा तो मैं अमेरिका से इसमें कोई भूमिका निभाने को नहीं कहूंगा।”
उन्होंने कहा, “(दोनों देशों के बीच) विश्वास की कमी है और पाकिस्तान ने इसे खत्म करने की हर संभव कोशिश की है।” कुरैशी ने कहा कि ऐसे संस्थागत तौर-तरीके मौजूद हैं जिनकी मदद से अफगानिस्तान किसी भी मुद्दे को उठा सकता है। इसके लिए अमेरिका की तरफ देखने की जरूरत नहीं है।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और तालिबान में दोहा में समझौते पर दस्तखत नहीं हुए होते अगर पाकिस्तान ने सभी को इस बात पर राजी नहीं किया होता कि अफगानिस्तान की 18 साल से चल रही जंग का कोई सैन्य समाधान संभव नहीं है। पाकिस्तान ने तालिबान को राजी किया कि वे अपना ऐसा आधिकारिक प्रतिनिधिमंडलभेजें जो समझौते को लागू करने का पूरा प्राधिकार रखता हो। पाकिस्तान के प्रयास के बिना यह संभव नहीं था।