हैदराबाद: सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में काम शुरू करने वाले फ्रेशर्स को बेहतर वेतन के लिए आवाज उठाते हुए आईटी उद्योग के दिग्गज टी वी मोहनदास पई ने आरोप लगाया कि बड़ी सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों ने इस क्षेत्र में आने वाले नये इंजीनियरों के वेतन को कम रखने के लिए आपस में साठगांठ कर ली है. पई ने इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति के बयान से सहमति जताई है. मूर्ति ने कहा था कि सॉफ्टवेयर उद्योग में पिछले सात साल से शुरुआती स्तर पर अपने कैरियर की शुरुआत करने वालों का वेतन स्थिर बना हुआ है जबकि वरिष्ठ कर्मचारियों का वेतन कई गुना बढ़ा है.
इंफोसिस के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) पई ने कहा कि ये कंपनियां साफ्टवेयर इंजीनियरों की “अधिक उपलब्धता” का फायदा उठा रही हैं और बाजार को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं. यह प्रवृति “पूरी तरह से गलत” है.
पई ने कहा, “यह गठजोड़ है… इसमें कोई शक नहीं है. बड़ी आईटी कंपनियां आपस में बातचीत करती है, कभी-कभी एक-दूसरे को वेतन में इजाफा नहीं करने के लिए भी कहती हैं, यह सब बहुत लंबे समय से चल रहा है.” उन्होंने कहा, “मैं जानता हूं कि बड़ी कंपनियों के लोग एक-दूसरे से मिलते हैं और एक-दूसरे को (शुरुआती स्तर पर) वेतन नहीं बढ़ाने के लिए कहते हैं. अगर मुद्रास्फीति के प्रभाव को देखा जाए तो वास्तव में आईटी उद्योग में फ्रेशरों को मिलने वाले परिश्रामिक में पिछले सात सालों में 50 प्रतिशत की गिरावट आई है.”
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक स्तर के कर्मचारियों का वेतन स्थिर रहने के कारण कुशाग्र बुद्धि के लोग आईटी उद्योग से नहीं जुड़ रहे हैं. बड़ी कंपनियां बेहतर भुगतान का खर्च वहन कर सकती हैं. पई ने कहा कि मेरे लिए यह एक नौतिक मुद्दा है. इस स्तर पर वेतन न बढ़ाया जाना नैतिकता के लिहाज से गलत है. टीसीएस और इंफोसिस जैसी बड़ी कंपनियों को नये इंजीनियरों को अच्छा वेतन देने के मामले में नेतृत्व करना चाहिए.