JNU के गुमशुदा छात्र नजीब पर CBI रिपोर्ट

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट को स्थिति रिपोर्ट सौंपी. सूत्रों के मुताबिक इसमें कहा गया है कि ऑटो रिक्शा चालक अपने बयान से मुकर गया है. दिल्ली पुलिस ने दावा किया था कि ऑटो रिक्शा चालक ने जेएनयू छात्र को जामिया मिलिया इस्लामिया छोड़ा था. इस रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ के समक्ष सौंपा गया.

पुलिस के दबाव में ऑटो रिक्शा चालक का बयान

सीबीआई सूत्रों के अनुसार एजेंसी के अधिकारियों ने जब ऑटो रिक्शा चालक से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसे यह बयान देने के लिए मजबूर किया गया कि उसने 27 वर्षीय नजीब अहमद को गत वर्ष 15 अक्टूबर को जामिया मिलिया इस्लामिया छोड़ा था. एजेंसी सूत्रों ने बताया कि हाई कोर्ट में सीबीआई द्वारा सौंपी स्थिति रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली पुलिस के दबाव में चालक का बयान दर्ज किया गया.

फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट का इंतजार

सीबीआई ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि पिछले साल जेएनयू के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले की जांच के सिलसिले में जब्त किए गए जेएनयू के नौ छात्रों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट का इंतजार है. जांच एजेंसी ने अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दायर करके इस मामले में उठाए गए कदमों की विस्तृत जानकारी दी.

खुली अदालत में चर्चा नहीं करने का फैसला

न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की एक पीठ ने कहा, ‘सीबीआई ने एक स्थिति रिपोर्ट सौंपी है. इस रिपोर्ट में मामले में उठाए गए और कदमों के बारे में बताया गया है. अदालत नहीं सोचती कि स्थिति रिपोर्ट में जांच के संबंध में दी गई विस्तृत जानकारी पर खुली अदालत में चर्चा करना सही है.’

पिछले साल गायब हुआ था छात्र नजीब

पिछले वर्ष 15 अक्टूबर को जेएनयू के माही-मांडवी हॉस्टल से एमएससी बॉयोटेक्नोलॉजी के एक छात्र नजीब (27) लापता हो गये थे. लापता होने से पहले पिछली रात को नजीब की कुछ अन्य छात्रों के साथ हाथापाई हुई थी और इन छात्रों को कथित रूप से संघ परिवार की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से संबद्ध बताया जाता है.

मामले में कुछ भी बोलने से सीबीआई का इनकार

इस बीच स्थिति रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर सीबीआई के प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने बताया कि वह रिपोर्ट पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करेंगे क्योंकि इसे ‘सीलबंद लिफाफे’ में सौंपा गया है और यह मामला विचाराधीन है.

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