आशाराम बापू के तरफ से 20 दिन की पैरोल के लिए उच्च न्यायालय जोधपुर में रिट याचिका लगाई थी, जिसमे लिखा गया था की, याचिका कर्ता को 20 दिन की पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया जाए।
आशाराम बापू के तरफ से 20 दिन की पैरोल के लिए उच्च न्यायालय जोधपुर में रिट याचिका लगाई थी, जिसमे लिखा गया था की, याचिका कर्ता को 20 दिन की पैरोल पर रिहा करने का आदेश दिया जाए।
10 जुलाई को आशाराम बापू की ओर से याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य सरकार व जोधपुर कलेक्टर की पैरोल कमेटी द्वारा नए नियमों (2021) का हवाला देते हुए पैरोल याचिका को अमान्य करने के निर्णय को रद कर दिया, और राज्य सरकार व जोधपुर कलेक्टर की पैरोल कमेटी को पुराने नियमों (1958) के आधार पर आशाराम बापू की पैरोल याचिका को दोबारा संज्ञान में लेने के आदेश दिया है। और उसके लिए 6 हफ्ते की समयावधि निर्धारित की है।
सुप्रीम कोर्ट व राजस्थान हाई कोर्ट द्वारा पूर्व में दिये गये निर्णयों का हवाला देते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि आशाराम बापू का मामला 2021 से पहले का है इसलिए उन्हें पुराने नियमों के अनुसार 20 दिन की पैरोल मिल सकती है।
जोधपुर की सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम ने 20 दिन की पेरौल पर रिहाई मांगी थी। लेकिन रिहाई नहीं मिली।
इस पर आसाराम की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की लेकिन वहां से भी राहत नहीं मिली। दरअसल आसाराम की ओर से 20 जून को 20 दिन की पैरोल मांगी गई थी। पैरोल कमेटी ने यह कहकर रिहाई नहीं दी कि रिलिज ऑन पेरोल के 2021 के नए नियम के अनुसार पैरोल नहीं दी जा सकती।
पैरोल नहीं मिलने पर आसाराम के वकील ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। आज हाईकोर्ट जस्टिस विजय विश्नोई व योगेन्द्र कुमार पुरोहित की डबल बेंच में याचिका पर सुनवाई हुई सुनवाई के दौरान आसाराम के वकील ने बताया कि पैरोल कमेटी ने यह कहकर पैरोल नहीं दी कि नए नियम में यह इस जुर्म में सजा काट रहे कैदी को रिहाई का प्रावधान नहीं है।
वकील ने बताया कि मामला 2021 से पहले का है ऐसे में पुराने मामले में पुराना रुल लागू होगा उसके अनुसार आसाराम को परौल का हक है। सरकार की ओर से एएजी अनिल जोशी ने जिरह करते हुए कहा कि नए नियम के अनुसार ही कमेटी ने खारिज की है।
ओल्ड रुल के अनुसार अब कंसीडर करने के लिए एएजी ने समय मांगा। अब इस मामले में 6 सप्ताह बाद डिसीजन होगा कि आसाराम पैरोल पर रिहा हो सकेंगे या नहीं।
2021 में बने थे नए नियम
रिलीज ऑन पेरौल 2021 में पोक्सो और बालात्कार केस में सजा काट रहे कैदी को रिलीज करने पर रोक के नियम है। जबकि पुराने रुल जो कि 1958 में बने थे उसके अनुसार एक निश्चित समय के बाद कैदी को पेरौल मांग सकता है।
अब यह होगा
आसाराम की पैरोल के लिए दुबारा जेल अधीक्षक को एप्लिकेशन लिखी जाएगी। यह एप्लिकेशन जिला कलेक्टर को जाएगी। पैरोल एडवाइजर कमेटी फिर इसपर निर्णय लेगी। अगर फिर यह कमेटी खारिज करती है तो हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
अमृतकाल में हमें ऊर्जा से भरी एक ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है, जो 21वीं सदी के भारत की आवश्यकताओं को समझते हुए अपना सामर्थ्य बढ़ाए। pic.twitter.com/gqBj8fIFd0
— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2023
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