उतराखंड का जोहर घाटी हिमालय का बेहद ही दुर्गम स्थान है। यहां भारत-चीन सीमा के नजदीक भारत सामरिक महत्व के सड़कों के निर्माण को तेजी देने में सफल हो गया है। सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाली मशीनों को हेलीकॉप्टर्स के जरिए पहुंचा दिया गया है।
बीआरए के चीफ इंजीनियर बिमल गोस्वामी ने कहा कि 2019 में कई प्रयासों में असफल रहने के बाद सीमा सड़क संगठन को हाल ही में सड़कों के निर्माण में इस्तेमाल होने वाली भारी-भरकम मशीनों को हेलीकॉप्टर्स के जरिए लाप्सा तक पहुंचाने में सफलता मिली है। इससे सड़क निर्माण जल्दी होने की उम्मीद जगी है।
पत्थरों को काटने वाली भारी मशीनों के उपलब्ध नहीं होने की वजह से 65 किलोमीटर लंबी सड़क के निर्माण में देरी हो रही थी। मुनसियारी-बोगदीयार-मिलाम रोड का निर्माण हिमालय की जोहर घाटी में हो रहा है। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आता है। यह सड़क भारत-चीन सीमा पर आखिरी पोस्ट को जोड़ेगा।
गोस्वामी ने कहा, ”पिछले साल कई बार असफल रहने के बाद हमें पिछले महीने हेलीकॉप्टर्स से हैवी मशीनों को लाप्सा पहुंचाने में सफलता मिली है। हमें उम्मीद है कि इस चुनौतीपूर्ण रूट पर अगले तीन महीने में पत्थरों को काटने का काम पूरा हो जाएगा।”
22 किलोमीटर हिस्से पर खड़े चट्टानों को काटना अब आसान हो जाएगा। क्योंकि हैवी मशीनों को हैलीकॉप्टर से मौके पर पहुंचाया जा सकता है। बीआरओ के चीफ इंजीनियर ने कहा, ”इस प्रॉजेक्ट का काम 2010 में ही शुरू हुआ था तब इसके लिए 325 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे।”
उन्होंने कहा कि सड़क का निर्माण दोनों तरफ से हो रहा है और 22 किलोमीटर के हिस्से को छोड़कर 40 किलोमीटर हिस्से में पत्थरों को काटने का काम पूरा हो चुका है।
People, planet and profit are interlinked and can co-exist.
Due to the LED revolution, Indians are saving Rs 19,000 crore annually from energy bills as LED bulbs now cost just Rs 50 instead of Rs 350 each. We are now installing these bulbs in houses and streets pan-India. pic.twitter.com/Yfu7Gq3vxK
— BJP (@BJP4India) June 11, 2020
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