कोटा से ज्योतिषाचार्य: 5 जून को नजर आने वाला है चंद्रग्रहण-58 साल बाद 30 दिन में 3 ग्रहण

5 जून को चंद्रग्रहण है. यह चंद्रग्रहण साल 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण होने वाला है इसके पहले जनवरी महीने में ग्रहण पड़ा था. 5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण आम चंद्रग्रहण से कुछ अलग तरह का होने वाला है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि पर चंद्रग्रहण लगेगा. यह चंद्रग्रहण उपछाया ग्रहण होगा. ग्रहण 5 जून की रात 11 बजकर 16 मिनट से लगना आरंभ हो जाएगा जो अगले दिन रात के 2 बजकर 32 मिनट तक रहेगा. ग्रहण के वक्त चंद्रमा वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा.

बता दें की साल 2020 का दूसरा चंद्रग्रहण ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन लगेगा. ज्योतिष में उपछाया को ग्रहण के दायरे से बाहर रखा जाता है इसलिए इस ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. जब भी चंद्रग्रहण लगता है तो उसके पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपछाया में प्रवेश करता है. चंद्रग्रहण की प्रकिया में इसे चंद्र मालिंय और penubra कहा जाता है. उपछाया में पूर्ण चंद्र ग्रहण नहीं पड़ता इसमें चंद्रमा सिर्फ धुंधला सा नजर आता है इस वज़ह से इसे चंद्र मालिन्य भी कहते हैं. इस वजह से इस खगोलीय घटना को चंद्रग्रहण की जगह उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं.

इन जगहों पर दिखाई देगा ग्रहण
आपो बता दें की 5 जून को लगने वाला चंद्रग्रहण यूरोप के ज्यादातर हिस्से में दिखाई देगा. इसके अलावा यह एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका समेत भारत में भी दिखाई देगा.

58 साल बाद 30 दिन में 3 ग्रहण

विज्ञान में ग्रहण को एक खगोलीय घटना माना जाता है, लेकिन ज्योतिष के मुताबिक यह लोगों के हित के लिए शुभ अशुभ होता है।30 दिनों के भीतर तीन ग्रहण होने से महामारी एवं प्राकृतिक आपदा जैसे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं। 58 साल बाद जून में दो और जुलाई में एक ग्रहण होगा। 5 जून को मांद्य चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण और 5 जुलाई को फिर से मांद्य ग्रहण होगा। इस समय शनि मकर राशि में वक्री है। इस साल से पहले 1962 में ऐसा योग बना था। उस समय भी शनि मकर राशि में वक्री था और लगातार तीन ग्रहण हुए थे। वहीं 21 जून को सूर्य ग्रहण के परिणाम भी ज्योतिष के लिहाज से अच्छा नहीं माना जा रहा है। जिसका प्रभाव भारत की अर्थव्यवस्था पर होगा।
बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु या केतु यह 6 ग्रह वक्री रहेंगे। 6 ग्रहों के वक्री होने से बड़ा संकट उत्पन्न हो सकता है।

21 जून का सूर्य ग्रहण दिखेगा भारत में

कोटा से ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि 5 जून को ज्येष्ठ की मास की पूर्णिमा है। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या है। 5 जुलाई को आषाढ़ मास की पूर्णिमा है।

 


5 जून को लगने वाला चंद्र ग्रहण दिन में होने से यह दिखाई नहीं देगा। 5 जून एवं 5 जुलाई के दोनों चंद्र ग्रहण मान्द्य यानी उपछायी चन्द्रमा दिखेगा, अत: इनका कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होगा। किसी भी राशि पर भी इन दोनों चंद्र ग्रहण का असर नहीं होगा।21 जून को खंडग्रास यानी आंशिक सूर्य ग्रहण रहेगा। ये ग्रहण भारत के अलावा एशिया, अफ्रिका और यूरोप कुछ क्षेत्रों में भी दिखेगा। ग्रहण का स्पर्श सुबह 10.14 मिनट पर, ग्रहण का मध्य 11.56 मिनट पर और ग्रहण का मोक्ष 1.38 मिनट पर होगा। ग्रहण का सूतक काल 20 जून की रात 10.14 मिनट से आरंभ हो जाएगा। सूतक जो 21 जून की दोपहर 1.38 तक रहेगा। इस वर्ष का यह एक मात्र ग्रहण होगा जो भारत में दिखेगा और इसका धार्मिक असर भी मान्य होगा। ये ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र में और मिथुन राशि में लगेगा।इसके चलते संभलकर रहने की जरूरत है। ग्रहण के प्रभाव स्‍वरूप देश व दुनिया में पड़ोसी राष्‍ट्रों के आपसी तनाव, अप्रत्‍यक्ष युद्ध, महामारी, किसी बड़े नेता की हानि, राजनीतिक परिवर्तन, हिंसक घटनाओं में इजाफा, आर्थिक मंदी आदि पनपने के संकेत हैं।युवाओं को रोजगार की परेशानी बढ़ेगी ,सोना चाँदी में तेजी,बनेगी।

सभी राशियों पर ग्रहण का असर

मेष, सिंह, कन्या, कुंभ राशि के लिए सूर्य ग्रहण शुभ फल देने की स्थिति में रहेगा। इन लोगों को भाग्य का साथ मिल सकता है। वृष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर और मीन राशि के लोगों को सतर्क रहकर काम करना होगा। इन लोगों के लिए बाधाएं बढ़ सकती हैं

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