नई दिल्ली। हाल ही में देश के अलग-अलग क्षेत्र की 49 नामी-गिरामी और लोकप्रिय हस्तियों ने मॉब लिंचिंग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला खत लिखा था। ऐसे में अब अन्य 61 हस्तियों ने खुला खत लिखा है उन लोगों के लिए जो ‘चुनिंदा मामलों में ही आलोचना और विरोध’ के लिए सामने आते हैं। साफ है कि ये खत पीएम को खत लिखने वाले 49 लोगों के लिए ही है। इसपर हस्ताक्षर करने वालों में एक्ट्रेस कंगना रनौत, लिरिसिस्ट प्रसून जोशी, क्लासिकल डांसर और सांसद सोनल मानसिंग, इंस्ट्रूमेंटलिस्ट पंडित विश्व मोहन भट्ट, फिल्ममेकर मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री जैसी बड़ी शख्सियतें शामिल हैं। खत का शीर्षक है
पहले 49 हस्तियों ने पीएम को लिखा था खत’ बता दें कि बीते 23 जुलाई को पीएम को जिन 49 लोगों ने खुला खत लिखा था उसमें मणिरत्नम, अदूर गोपालकृष्णन, अनुराग कश्यप और अपर्णा सेन, कोंकणा सेन शर्मा, सौमित्र चटर्जी जैसे कई फिल्म निर्देशक और अभिनेता शामिल थे। इन लोगों ने देश में मॉब लिंचिंग घटनाओं को अपनी चिंता व्यक्त की थी। खुले खत ये मामला काफी चर्चा में आ गया था। जिसके बाद बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया देते हुए गिरीराज सिंह ने कहा थी कि- ‘नरेंद्र मोदी की सरकार को बदनाम करने के लिए एक बार फिर से अवार्ड वापसी गैंग एक्टिव हो गया है।’
‘पीएम को खत लिखने वाले तब कहां थे जब…’ गिरीराज ने आगे कहा कि ‘ये लोग जो मॉब लिंचिंग पर सवाल उठा रहे हैं वे तब कहां थे जब कैराना के विधायक नाहिद हसन ने हाल ही में मुसलमानों को हिंदुओं की दुकानों से सामान न खरीदने के लिए कहा था। ये लोग तब चुप क्यों रहे?’ गौरतलब है कि गिरीराज खुले खत को अवार्ड वापसी गैंग का काम बताकर उन लोगों पर निशाना साध रहे थे जिन्होंने पीएम के पूर्व कार्यकाल में असहिष्णुता के खिलाफ अपने अवार्ड वापस किए थे।
बड़ी हस्तियों ने मॉब लिंचिंग पर जाहिर किया था गुस्सा इस खत में मॉब लिंचिंग पर गुस्सा जाहिर करते हुए कहा गया था कि- ‘जय श्री राम’ एक भड़काऊ युद्ध बन गया है, ‘राम’ बहुसंख्यक समाज के लिए पवित्र है, देश में लिंचिंग के मामलों पर मशहूर हस्तियों ने कहा है कि मुसलमानों, दलितों और और अल्पसंख्यकों की लिंचिंग को तुरंत रोका जाना चाहिए। हम एनसीआरबी के आंकड़े को जानकर हैरान हो गए कि साल 2016 में दलितों से अत्याचार के 840 मामले सामने आए हैं और दोषियों को सजा के मामले में कमी आई है।
‘पीएम मोदी आलोचना काफी नही’ इस लेटर में कहा गया कि प्रधानमंत्री जी आपने संसद में इस तरह की लिंचिंग की आलोचना की लेकिन ये पर्याप्त नहीं है। साथ ही इसमें लिखा था कि- असहमति के बिना कोई लोकतंत्र नहीं है। अगर कोई सरकार के खिलाफ राय देता है तो उसे ‘एंटी-नेशनल’ या ‘अरबन नक्सल’ घोषित नहीं कर दिया जाना चाहिए।
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