कर्नाटक का सियासी संकट हर दिन गहराता जा रहा है. राजनीतिक उठापटक के बीच खबर आ रही है कि विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश 17 जुलाई को एचडी कुमारस्वाती को बहुमत साबित करने का न्योता दे सकते हैं. इससे पहले रमेश ने मंंगलवार को जेडीएस के सभी 13 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था.
कर्नाटक की राजनीति में मचे बवाल के बीच विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने मंगलवार को कहा कि वह जो सही होगा, वही करेंगे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के 14 विधायकों के इस्तीफे पर वह ‘कठोर निर्णय’ लेने को तैयार हैं. वह केवल दो लोगों की बात सुनेंगे, ‘मेरे लोग और मेरे बाबा’. पिछले एक सप्ताह से कर्नाटक में कुमारस्वामी सरकार में मचे हंगामे के बीच अब काम पर लौटे विधानसभा अध्यक्ष का ये बयान उनकी निष्पक्षता को दर्शाता है.
संविधान और कानून के हिसाब से चलूंगा
रमेश कुमार ने कहा, ‘मैं एक मध्य वर्गीय परिवार से हूं. मुझे मेरे परिवार के लोगों ने अपनी तरह ढाला है, इसलिए ऐसा कुछ भी नहीं है जो मेरे लिए कठिन होगा. मैं शांत रहूंगा और संविधान व कानून के लिए जो जरूरी होगा वही करने की कोशिश करूंगा.’ उन्होंने कहा, ‘मैं वर्तमान राजनीतिक घटनाक्रम से संबंधित नहीं हूं. मैं संविधान के अनुसार काम कर रहा हूं. अब तक किसी भी विधायक ने मुझसे मिलने की मांग नहीं की है. अगर कोई मुझसे मिलना चाहता है, तो मैं अपने कार्यालय में उपलब्ध रहूंगा.’
विधानसभा स्पीकर केआर रमेश कुमार के पास ये हैं ऑप्शन
पहला ऑप्शन:- स्पीकर हर विधायक को व्यक्तिगत तौर पर मिलने बुला सकते हैं और उनकी बात सुनने के बाद इस्तीफा मंजूर कर सकते हैं. इस स्थिति में कुमारस्वामी सरकार बहुमत खो देगी, जिसके बाद राज्यपाल के हाथ में फैसला होगा.
दूसरा ऑप्शन:- स्पीकर सभी विधायकों को नोटिस जारी कर इस्तीफे पर फैसले को लटकाए रख सकते हैं.
तीसरा ऑप्शन:- स्पीकर चाहे तो सभी विधायकों के इस्तीफे नामंजूर कर सकते हैं, जिसके बाद 14 बागी विधायक स्पीकर के फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं.
चौथा ऑप्शन:- ये रास्ता कुमारस्वामी के लिए भी है. कुमारस्वामी चाहे तो खुद ही सभी बागी विधायकों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य करार दे सकते हैं. इसके बाद ये विधायक कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.
कर्नाटक में अब क्या है राजनीतिक समीकरण
कर्नाटक में अब तक कांग्रेस के 10 और जेडीएस के 3 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है. इन 13 विधायकों के इस्तीफे के बाद विधानसभा में सदस्यों की संख्या 224 से घटकर 211 रह गई है. इसमें एक सीट विधानसभा स्पीकर की भी है. इस लिहाज से अब विधानसभा का गणित 210 सीटों से लगाया जाएगा और सत्ता में बने रहने के लिए 106 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी. नए समीकरण में सत्ता पक्ष के पास विधायकों की संख्या घटकर 105 ही रह गई है. वहीं, बीजेपी के पास पहले से ही 105 विधायक हैं. ऐसे में अगर निर्दलीय विधायक नागेश बीजेपी का हाथ थाम लेते हैं तो बीजेपी की संख्या 106 हो जाएगी जो मौजूदा स्थिति में बहुमत का आंकड़ा बन जाएगा.