स्वदेशी कोवैक्सीन सहित कोविशील्ड को मिली DGCI की मंजूरी

कोरोना वायरस की जंग लड़ रहे भारत में दो वैक्सीन के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी गई है। DGCI ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह ऐलान किया कि देश में सीरम इंस्टिट्यूट और भारत बायोटेक की वैक्सीन को आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है।  DGCI के निदेशक वीजी सोमानी ने बताया कि 1 और 2 जनवरी को सबजेक्ट कमेटी ने बैठक की थी और दो वैक्सीन के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दिए जाने की सिफारिश की थी जिसके बाद सीरम इंस्टिट्यूट के कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को मंजूरी मिल गई है। इसके बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर देश को बधाई दी है और इसे हर भारतीय के लिए गर्व का दिन बताया है।

स्वदेशी वैक्सीन को कमेटी ने दी थी हरी झंडी

इससे पहले शनिवार को यह खबर आई थी कि भारत बायोटेक की बनाई स्वदेशी कोरोना वैक्सीन ‘केंद्र’ को एक्सपर्ट्स कमेटी ने आपात स्थिति में इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। हालांकि, इस पर DGCI की आखिरी मंजूरी मिलना बाकी है।

वहीं शुक्रवार को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सटी और एस्ट्राजेनेका के साथ सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की बनाई कोरोना वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी।

शनिवार को देशभर में चले ड्राई रन का जायजा लेने के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी यह बताया था कि पहले चरण में देशभर के करीब 3 करोड़ लोगों को मुफ्त कोरोना टीका लगाया जाएगा। साथ ही, उन्होंने कहा था कि इसे मंजूरी देने से पहले किसी भी प्रोटोकॉल के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

फिलहाल देश में 6 वैक्सीन का चल रहा ट्रायल
वर्तमान में भारत में कोरोना की छह वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। इनमें कोवीशिल्ड और कोवैक्सिन भी शामिल है। कोवीशिल्ड ऑस्ट्रॉक्सी वैक्सीन है, जिसे एस्ट्रजेनेका और पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। कोवैक्सीन भारत की बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से विकसित किया जा रहा स्वदेशी टीका है।

इन दोनों के अलावा, अहमदाबाद में कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से ZyCOV-D को विकसित किया जा रहा है। साथ ही  NVX-CoV2373 को नोवामैक्स के सहयोग से सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित किया जा रहा है। दो अन्य टीके हैं, जिनमें से एक एमआईटी, यूएस के सहयोग से बायोलॉजिकल ई लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा निर्मित है। दूसरा एचडीटी, यूएस के सहयोग से पुणे स्थित गेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।

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